भारत का दक्षिण अफ्रीका दौरा जैसे जैसे अपने अंत की तरफ बढ़ रहा है, वैसे वैसे इस बात पर बहस तेज़ होती जा रही है कि जो समस्या बहुत पुराने समय से चलती आ रही है उसका सामना नए जोश और काम तजुर्बे से भरी वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम कैसे करेगी? यहां बात हो रही है विदेशी ज़मीन पर भारत के ख़राब प्रदर्शन की, जो कि काफी लंबे अरसे से भारतीय क्रिकेट बोर्ड और प्रशंसकों की चिंता का सबब बनी हुई है। जोहान्सबर्ग में सम्मान की लड़ाई शान से जीतने वाली भारतीय टीम ने कुछ हद तक इस सवाल का जवाब देने में कामयाबी हासिल की है।
कप्तान विराट कोहली की क्षमताओं को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब उन्हें आने वाले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर देना होगा, जिसके लिए उन्हें अपनी टीम का साथ चाहियें। चेतेश्वर पुजारा एक भरोसेमंद और परिपक्व खिलाड़ी हैं जिन पर मुश्किल की घड़ी में विश्वास जताना गलत नहीं होगा। भारतीय ओपनिंग जोड़ा मुरली विजय और के एल राहुल भी विदेशी धरती पर अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम है। मुरली विजय ने वांडरर्स में जोहान्सबर्ग टेस्ट में जिस तरह से गेंदबाज़ी का सामना किया था, उनकी दाद देनी होगी। डीन एल्गर, जो कि दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ हैं, ने माना कि वांडरर्स की पिच पर गेंद ब्लॉक करना भी एक बड़ी बात थी।
बात अगर भारतीय गेंदबाज़ों की की जाए तो उनकी तारीफ में पहले ही काफी कुछ कहा जा चुका है, मगर उनकी जितनी तारीफ की जाए उतना कम है। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने जिस तरह की गेंदबाज़ी जोहान्सबर्ग टेस्ट में की थी, उस से कईं दिग्गजों की आंखें आश्चर्य और प्रशंसा से बड़ी हो गईं थी। भुवनेश्वर कुमार को तो बेवजह ही गेंदबाज़ कहा जा रहा है, उन्होंने गेंद के साथ साथ बल्लेबाज़ी में भी कमाल दिखा के यह जता दिया कि वे एक अच्छे आल राउंडर साबित हो सकते हैं। इशांत शर्मा ने खुद में काफी सुधार किया है। हालांकि हार्दिक पांड्या को थोड़ा और परिपक्व होना होगा ताकि विदेशी ज़मीन पर वे एक अच्छा खेल खेल सकें।