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    मानव विकास human evolution in hindi

    एवोल्यूशन सदा ही मनुष्यों के लिए एक रोमांचक विषय रहा है। हमारा मूल क्या है, हम कहाँ से और किस तरह आए, हम इतने विकसित कैसे हैं, ये सभी प्रश्नों के उत्तर जानने का प्रयास निरंतर चल रहा है।

    माना जाता है कि मनुष्य सदियों पूर्व अफ़्रीका की भूमि से धीरे धीरे दूसरे स्थानों पर गए, और वहाँ उनका विकास हुआ और वो वैसे बन पाए जैसे हम आज हैं।

    विषय-सूचि

    जैव विकास क्या है? (what is evolution in hindi)

    वह प्रक्रिया, जिससे किसी आबादी में, जो किसी विशिष्ट स्थान पर एक साथ वास करते हों, एक बहुत ही लंबे समय में बदलाव आते हैं, उसे एवोल्यूशन कहते कहते हैं। एवोलिशन अनुवांशिक स्तर पर होता है। यानी कि एवोल्यूशन वह है, जिससे आए बदलाव पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में दिए जाते हैं।

    यहाँ अनुवांशिक और बदलाव का तात्पर्य यह है कि यदी माँ की ऊँगली कट जाए, तो इसका अर्थ यह नहीं कि बच्चे की भी ऊँगली नहीं हो।

    जैव विकास के सिद्धांत (evolution laws in hindi)

    एवोल्यूशन तीन मुख्य स्तंभों या सिद्धांतों पर आधारित है-

    • सूक्ष्म विकास (micro-evolution)
    • प्राकृतिक चयन (natural selection)
    • प्रजातिकरण (speciation)

    इनके बारे में हम एक एक करके जानेंगे।

    1. सूक्ष्म विकास (micro-evolution in hindi)

    किसी भी जीवित प्राणी के जीन्स में परिवर्तन आना और फिर उन परिवर्तनों का जमा होने और दूसरी पीढ़ी में समावेश होने को मिक्रोएवोलुशन कहते हैं।

    ये परिवर्तन या म्युटेशन अनियमित तरीकों से प्रजनन प्रकिया में गलतियों के कारण हो सकते हैं। प्रकृति में छेड़ छाड़ जैसे विकिरण या रासायनिक रिसाव के कारण भी म्युटेशन हो सकता है।

    उदाहरण के लिए मान लीजिए कि कुछ नीले रंग के कीड़ों में म्युटेशन के कारण उनका रंग पृथ्वी जैसा हरा और भूरा हो गया। इस रंग की वजह से उनका जानवरों और पक्षियों से बचने की संभावना बढ़ जाती है। और उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है। और फिर कई साल बाद, नीले रंग के कीड़े समाप्त हो जाते हैं और बचते हैं तो केवल नए तरह के कीड़े। इसी तरह मनुष्यों में भी म्युटेशन से एवोल्यूशन होता है।

    2. प्राकृतिक चयन (natural selection in hindi)

    इसका अर्थ, प्राणियों का प्रकृति द्वारा चयन। यह चयन सबसे स्वस्थ और बलशाली प्राणी के आधार पर, या फिर, क्रमरहित भी हो सकता है।

    यथा माने की दो अलग अलग प्रकार के कीड़ों की बस्ती आस पास रहती है। एक दिन एक हाथी आया और एक बस्ती की कुचल कर चला गया। तो अब, नेचुरल सेल्वेक्शन के द्वारा केवल एक ही तरह के कीड़े बचे।

    सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट ( योग्यतम की उत्तरजीविता ) भी नेचुरल सिलेक्शन के अंतर्गत आता है। जिसका मतलब, सबसे योगय ही जीवित रहेगा। बाकी जी नहीं पाएँगे और उनकी मृत्यु हो जाएगी।

    3. प्रजातिकरण (speciation in hindi)

    किसी एक प्रजाति का उस सीमा तक म्युटेशन हो जाना, की अब वे अब वह अपनी वास्तविक प्रजाति के साथ प्रजनन करने में सक्षम न हो, तो वह म्युटेशन वाली प्रजाति एक नई प्रजाति ही बन जाती। इसे प्रजातिकरण कहते हैं।

    फिर उन्ही कीड़ो का उदहारण लें , तो यदी एक कीड़ों की प्रजाति नदी या खाई के कारण दो हिस्सों में बट जाए, और सालों तक एक दूसरे से अलग रहें, तो जब ये वापस मिलेंगे, तब इनमे बहुत कम समानताएँ बची होँगी और ये एक नई प्रजाति बन चुके होंगे।

    मानव विकास (human evolution in hindi)

    एवोल्यूशन एक बहुत ही धीमी प्रक्रिया है। इसे होने में लाखों करोड़ों साल बीत जाते हैं। इसे समझना अत्यंत जटिल है। प्रचलित धारण यह है कि मनुष्य बंदरो में से विकसित हुऐ, जिसका प्रमाण यह है कि मनुष्यों और बंदरों के जीन्स बहुत हद तक मिलते है। परंतु यह बात बिल्कुल गलत है। हम बंदरों (चिंपांज़ी) के दूर के रिश्तेदार तो हैं, लेकिन वो हमारे पूर्वज नहीं।

    एवोल्यूशन कोई सीधी प्रक्रिया नहीं, जो एक के बाद एक होती गई और इंसान बन गए। इसे जाने के लिए “ ट्री ऑफ लाइफ ( जीवन का वृक्ष ) को समझते हैं।

    मानिए की वृक्ष की शाखाएँ कोई जीव है और उस शाखा से निकलने वाली छोटी शाखाएँ उसकी वंशज। इस तरह दोनो शाखाएँ एक दूसरे से संबंधित तो हुए, पर कोई किसी से विकसित नहीं हुआ। पेड़ का तना वो पूर्वज है, जिससे हम सब अंततः आए।

    जीवाश्म (fossil fuels in hindi)

    जीवाश्म पत्थर के टुकड़ों पर उन जीव जन्तुओं की छाप होती है जो धरती में दब गए थे। इन्ही जीवाश्मों से हम एवोल्यूशन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। हर दशक नए जीवाश्म खोजे जाते हैं और एवोल्यूशन के बारे में हमारा ज्ञान और बढ़ जाता है। चुँकि फॉसिल केवल कुछ विशिष्ट जलवायु में ही बनते हैं, कई ऐसी भी प्रजातियाँ हैं, जिनके बारे में हम कभी जान नहीं पाएँगे।

    एवोल्यूशन को लेकर अभी तक कोई ठोस थ्योरी नहीं है। महान प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन अपनी किताब “ओन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज” और एवोल्यूशन को समझाने के अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। ध्यान से परखने और जाँच करने पर इस थ्योरी में कई गलतियाँ और कमियाँ मिलती है। जिस कारणवश वैज्ञानिको में इस व्याख्या को लेकर मतभेद हैं।

    अनुसंधान कार्यन्त है, ताकि हम इसे और बेहतर तरीके के जान सकें।

    इस विषय से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    5 thoughts on “जैव विकास क्या है? परिभाषा, सिद्धांत, अर्थ”
    1. बहुत अच्छी जानकारी दी सर जी

      पारिस्थितिकी की भी बताएं जानकारी

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