जान्हवी कपूर ने भले ही बॉलीवुड में शुरुआत थोड़ी धीमी की हो, लेकिन जिस तरह की फिल्में उन्होंने साइन की है, वे निश्चित तौर पर युवा अभिनेत्री के करियर को सही आकार दे सकती है। सबसे पहले उन्होंने गुंजन सक्सेना की बायोपिक की, फिर राजकुमार राव के साथ हॉरर कॉमेडी ‘रूहीअफज़ा’, मुग़ल-ड्रामा ‘तख़्त’ और फिर समलैंगिकता पर बनी फिल्म ‘दोस्ताना 2’, इतना ही नहीं उन्होंने ‘घोस्ट सीरीज’ के साथ अपना डिजिटल डेब्यू भी कर लिया है।
पहले, उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था-“ऐसी और भूमिकाएँ होनी चाहिए जो महिला के बेहिचक पक्ष को दर्शाती हैं – ‘कबीर सिंह‘ या ‘जोकर’ की महिला संस्करण जैसी भूमिकाएँ।” और इस बार, उन्होंने कबीर सिंह जैसे किरदार के बारे में बात की है, और कहा कि वह भविष्य में ऐसी कोई भूमिका करना चाहेंगी।
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अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें शाहिद कपूर स्टारर फिल्म बहुत पसंद आई, हालांकि, वह लोगों की चिंताओं को समझती हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सिनेमा लोगों के मन पर एक छाप बनाने में एक बड़ी भूमिका निभाता है और इसलिए, वह समझती है कि लोग कैसे एक निश्चित तरीके से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित महसूस कर सकते हैं, हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक कला है और कला को मानदंडों या सही और गलत में नही पड़ना चाहिए। धड़क अभिनेत्री कहती हैं कि यह कैसे एक आदमी की वास्तविकता है, किसी की वास्तविकता के बारे में एक आदमी की राय है, और यह एक ग्रे किरदार है। उन्होंने सवाल किया कि अगर इन्सान को केवल समाज द्वारा किरदारों के खोखलेपन को मंजूर कराना है, तो इसमें बात ही क्या रह जाएगी?
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जान्हवी ने कहा कि कैसे उस किरदार को ऐसा बिखरा हुआ ही दिखना था और सिनेमा इंसानों का प्रतिबिंब माना जाता है और ये किरदार किसी की वास्तविकता है, इसलिए यही वजह है कि उन्हें इस किरदार में कुछ भी गलत नहीं दिखता। उन्होंने यह भी कहा कि कैसे कला का उद्देश्य व्यक्ति को असहज करना है और फिल्म ने वास्तव में समाज में एक मुद्दा उठाया है और इसपर बातचीत शुरू की है। इसे मिश्रित राय मिली है और यही होना चाहिए।