विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इन दिनों राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। एक के बाद एक रोज नए-नए सियासी रंग देखने को मिल रहे हैं। कहीं यार यारी छोड़कर प्रतिद्वंदी नजर आ रहे हैं तो कहीं प्रतिद्वंदी प्रतिद्वंदिता भूलकर यारी निभा रहे हैं। इन सभी सियासी दांव-पेंचों को अब तक ‘भोली’ कही जाने वाली देश की जनता भी समझने लगी है और हालिया कुछ चुनावों में जनता ने ना केवल लोकतंत्र में अपनी भूमिका को बेहतर तरीके से समझा है बल्कि उसे निभाया भी है। राजनेता चाहे जितना बड़ा हो पर वह ‘जनता का सेवक’ ही होता है, इस बात को जनता ने सही साबित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में दीवारों पर इन दिनों ‘लापता वाराणसी सांसद’ मोदी के पोस्टर लगे नजर आ रहे हैं।
इन पोस्टरों में लिखा है ‘लापता वाराणसी सांसद’। वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है “जाने वह कौन सा देश जहाँ तुम चले गए”। पोस्टर पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी लगी हुई है। हालाँकि इन पोस्टरों पर निवेदक या प्रकाशक का नाम अंकित नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह किसी असामाजिक तत्वों की शरारत भी हो सकती है। पोस्टर के अंत में निवेदक की जगह लिखा है – “लाचार, बेबस एवं हताश काशीवासी”। मोदी के लापता होने के पोस्टर लगने की सूचना के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। रातों-रात वाराणसी पुलिस ने इन पोस्टरों को हटा दिया। फिलहाल पोस्टर लगाने वालों के बारे में कोई सूचना नहीं मिल सकी है। पोस्टर में इस बात का भी जिक्र था कि मोदी का पता नहीं लगने पर काशीवासी मजबूरन उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने को मजबूर होंगे।
इससे पूर्व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में भी राहुल गाँधी की गुमशुदगी के पोस्टर लगे मिले थे। इस घटना पर काफी बवाल मचा था और कांग्रेस ने इसे भाजपा और आरएसएस की चाल कहा था। अमेठी में जगह-जगह चिपकाये गए पोस्टरों में इस बात का जिक्र किया गया था कि राहुल गाँधी लापता है जिसके कारण क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। इस कारण क्षेत्र की जनता खुद को ठगा और अपमानित महसूस कर रही है। इनमे राहुल गाँधी की जानकारी देने वालों को उचित पुरस्कार देने की बात भी कही गई थी। हालाँकि इन पोस्टरों में भी निवेदक और प्रकाशक का नाम अंकित नहीं था।