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    कांग्रेस गुजरात

    बीते कुछ वक्त से देश के सियासी महकमों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी जल्द ही पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। अगर खबरों पर यकीन करें तो राहुल गाँधी 24 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाल सकते हैं। आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के आवास 10 जनपथ पर इस सम्बन्ध में बैठक होगी। बैठक की अध्यक्षता स्वयं सोनिया गाँधी करेंगी। इस बैठक में राहुल गाँधी की ताजपोशी की तारीख और और उसे चुनने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी के एजेण्डे पर भी चर्चा होगी। बता दें कि राहुल गाँधी गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बात सबसे पहले उनके बेहद करीबी और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कही थी। इसी वजह से राहुल गाँधी का कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाना लगभग तय माना जा रहा है।

    कांग्रेस वर्किंग कमेटी चुनेगी अध्यक्ष

    कांग्रेस में अध्यक्ष चुनने का जिम्मा कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों का होता है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों की बैठक 24 अक्टूबर के आस-पास हो सकती है। कांग्रेस पार्टी के निर्णयों में प्रमुख भूमिका निभाने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी इस बैठक में राहुल गाँधी के नाम पर आधिकारिक मुहर लगा सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी चाहती हैं कि राहुल जल्द से जल्द पार्टी की कमान अपने हाथों में ले लें। राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाने को लेकर पूरी कांग्रेस एकमत है। ऐसे में कांग्रेस वर्किंग कमेटी को उन्हें अध्यक्ष घोषित करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में 10 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्यों के अलावा कुछ विशेष रूप से निमंत्रित लोग भी होते हैं।

    लगातार उठ रही थी राहुल के नेतृत्व सँभालने की मांग

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पिछले कुछ वक्त से राजनीतिक रूप से बड़े सक्रिय नजर आ रहे हैं। राहुल गाँधी जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल सकते हैं। पार्टी इसकी तैयारियों में जुटी हुई है। अगर खबरों की माने तो राहुल गाँधी 24 अक्टूबर के आस-पास कांग्रेस अध्यक्ष चुने जा सकते हैं। राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस बाबत संकेत भी दिए थे और कहा था, “दीवाली बाद राहुल गाँधी कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाने का यही सही समय है। पिछले कुछ वक्त से कांग्रेस में भी यह मांग उठ रही है कि 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गाँधी के नेतृत्व में लड़ा जाए।” ऐसे में राहुल गाँधी के हाथ में कांग्रेस की कमान सौंपने की कवायद तेज होती नजर आ रही है। मुल्लापल्ली रामचंद्रन के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव कमेटी योजना को मूर्त रूप देने में लगी है।

    2019 में राहुल होंगे कांग्रेस का चेहरा

    पिछले कुछ वक्त से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार विदेश दौरों पर जा रहे हैं। दरअसल यह उनकी छवि को चमकाने की रणनीति के तहत किया जा रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी को विदेशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों का व्यापक समर्थन मिला था और इसने भाजपा की ऐतिहासिक चुनावी जीत में भी अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस अब राहुल गाँधी को नरेंद्र मोदी के मुकाबले खड़ा करने के लिए यही रणनीति अपना रही है। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर लड़ा जाए। इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस राहुल गाँधी के विदेश दौरों की योजनाएं बना रही है।

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी
    2019 में राहुल होंगे कांग्रेस का चेहरा

    राहुल गाँधी हाल ही में गुजरात दौरे से लौटे हैं जहाँ उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के चुनावी अभियान में हिस्सा लिया था। अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान राहुल गाँधी ने मध्य गुजरात क्षेत्र का भ्रमण किया था और भाजपा से नाराज चल रहे किसान और आदिवासी वर्ग को अपनी ओर मिलाने की पूरी कोशिश की। इससे पूर्व राहुल गाँधी महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र गए थे और किसानों से मिले थे। उन्होंने किसान सभा को सम्बोधित किया था और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी सीधा संवाद स्थापित किया था। हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष तीन दिवसीय दौरे पर अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी से लौटे हैं। वह इस दौरान क्षेत्र के किसानों से मिले और ग्रामीणों संग चौपाल लगाई। राहुल गाँधी जमीनी मुद्दों को आधार बनाकर किसान वर्ग को मनाने में जुटे हैं और आगामी चुनावों में उनकी यह रणनीति काफी कारगर हो सकती है।

    कांग्रेस की हिंदुत्व विरोधी छवि सुधार रहे हैं राहुल

    कांग्रेस पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह हिंदुत्व विरोधी दल है और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करती आई है। 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने पूर्व रक्षामंत्री ए के एंटनी के नेतृत्व में हार के कारणों का पता लगाने के लिए कमेटी गठित की थी। एंटनी कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट में कांग्रेस की हिंदुत्व विरोधी छवि को भी हार के प्रमुख कारणों में से एक माना गया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पिछले कुछ समय से पार्टी की इस छवि को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वह गुजरात में अपने चुनावी दौरों पर मंदिरों में जा रहे हैं और माथे पर त्रिपुण्ड-तिलक लगाए नजर आ रहे है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलकर भाजपा को मात देने की फिराक में हैं।

    राहुल गाँधी
    हिंदुत्व के सहारे सियासी जमीन तलाश रहे हैं राहुल गाँधी

    गुजरात की सियासी जमीन से दिल्ली पर नजर

    गुजरात में पिछले 2 दशकों से भाजपा का शासन है और इस वजह से इसे भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है। बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता चरम तक पहुँच गई थी और उन्होंने गुजरात का विकास भी किया। उनके शासनकाल में गुजरात देश का सबसे समृद्ध राज्य बन गया था। पर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में भाजपा की लोकप्रियता में कमी देखने को मिली है। गुजरात में भाजपा के लोकप्रियता की अहम कड़ी रही नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी अब दिल्ली जा चुकी है और गुजरात भाजपा किसी सशक्त चेहरे की कमी से जूझ रही है। ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं और भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों का समर्थन पाने में सफल रहे हैं।

    गुजरात राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल को मिली जीत ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया था और राहुल गाँधी अपनी यात्राओं से राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने में लगे हुए हैं। हिंदुत्व के मुद्दे को आधार बनाकर भाजपा गुजरात की सत्ता में आई थी और 2 दशकों से काबिज है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी कांग्रेस को सत्ता तक पहुँचने के लिए अब उसी हिंदुत्व का सहारा ले रहे हैं। राहुल गाँधी को अच्छी तरह खबर है कि भाजपा को उसके गढ़ में मात देना कितना मुश्किल है पर अगर वह भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों और अन्य जातियों को अपनी ओर मिला लें तो यह संभव हो सकता है। गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मिशन-2019 का आगाज है और राहुल गाँधी आगाज जीत के साथ करने में जुटे हुए हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।