जम्मू कश्मीर विधानसभा विघटित होने के दश महीने बाद और राष्ट्रपति शासन लगने के कुछ हफ़्तों बाद केन्द्रीय गृह मंत्य्री ने संसद को बताया कि केंद्र सरकार को कोई ऐतराज नहीं है अगर चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराये। उन्होंने कहा कि सुरक्षा मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह तैयार है।
राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस नेता गुलाम नवी आज़ाद और भाजपा नेता अरुण जेटली के बीच 2 घंटे तक तीखी बहस चली। गुलाम नवी आज़ाद ने राज्य की बिगड़ी व्यवस्था के लिए भाजपा पर आरोप मढ़ा। उन्होंने कहा कि भाजपा के सत्ता में रहते कश्मीर की हालत बिगडती चली गई और जब पार्टी को लगा कि मामला हाथ से निकल गया है तो उन्होंने सत्ता से हाथ पीछे खिंच लिए।
जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कश्मीर समस्या कांग्रेस की देन है। उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर के अलग अस्तित्व की विवेचना की गई थी लेकिन कांग्रेस के शासन में ये अलगाववाद की तरफ मुड गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वक़्त रहते सही कदम नहीं उठाये जिसके कारण कश्मीर आज इस स्थिति में पहुँच गया है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कई राज्यों में जोड़तोड़ कर सरकार बनाने में माहिर भाजपा यहाँ भी सज्जाद लों के सहयोग से सरकार बनाने की कोशिश में थी जिसपर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि किसी के भी पास बहुमत नहीं था और कोई भी सरकार बनाने की कोशिश नहीं कर रहा था जिसके कारण राज्यपाल सत्यपाल मालिक को विधानसभा भंगा करना पडा।
गौरतलब है कि कांग्रेस-पिदिपिऔर नेशनल कांग्रेंस सरकार बनाने के की कोशिश में थी। महबूबा मुफ़्ती ने कहा था कि उन्होंने राज्यपाल को सरकार बनाने की चिट्ठी फैक्स की थी। लेकिन राज्यपाल ने महबूबा के दावे से इनकार किया था और उसी शाम विधानसभा भंग करने की घोषणा करे दी थी जिसके बाद कश्मीर में सियासी पारा काफी चढ़ गया था।