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    महबूबा मुफ़्ती

    एक सैन्य अधिकारी पर कार्यवाही की माँग के संदर्भ में बात करते हुए जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि पीपुल डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ़्ती को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।

    मलिक ने मीडिया रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा है कि ‘उन्हे (महबूबा मुफ़्ती) गंभीरता से नहीं लिया जा सकता है। हम इन लोगों के बयानों के चलते सेना के मनोबल को गिरने नहीं दे सकते हैं।’

    राज्यपाल ने यह साफ किया है कि मुफ़्ती का यह बयान आने वाले चुनावों को लेकर आम लोगों के बीच सहानभूति प्रकट करने का महज़ एक जरिया भर है।

    मलिक ने मीडिया को बताया है कि ‘मुफ़्ती की पार्टी इस समय कमजोर स्थिति में है, ऐसे में मुफ़्ती किसी भी तरह अपनी खोयी हुई ताकत को वापस पाना चाहती हैं। उन्होने पहले भी इस तरह के हथकंडों का सहारा लिया है।’

    गौरतलब है कि महबूबा मुफ़्ती ने भारतीय सेना के मेजर रोहित शुक्ला पर कार्यवाही करने के लिए दबाव बनाया था। मुफ़्ती ने मेजर रोहित पर पुलवामा में रहने वाले तौसीफ़ वानी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। मुफ़्ती का कहना है कि मेजर ने वानी को एनकाउंटर में मार डालने की धमकी दी है।

    राज्यपाल मलिक के इस बयान के जवाब में महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि ‘यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय राज्यपाल युवाओं के खिलाफ हुई हिंसा को ध्यान में न रखते हुए राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं।’

    वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ़्ती का समर्थन करते हुए राज्यपाल पर आरोप लगते हुए कहा है कि उन्हे इस संवैधानिक पद पर रहते हुए इस तरह से राजनीति नहीं करनी चाहिए।

    मालूम हो कि इसके पहले राज्यपाल मलिक ने पिछले साल नवंबर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की गठबंधन वाली सरकार को अपनी मंजूरी नहीं दी थी। राज्यपाल ने उस दौरान इन दोनों दलों पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था।

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