पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को चार माह से अधिक समय हो चुका है। यूएन के विशेष दूत एग्नेस कॉलमार्ड सोमवार को मर्डर की जांच करने के लिए इस्तांबुल जाएंगे। 59 वर्षीय पत्रकार की हत्या 2 अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के दूतवास में हुई थी। यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलोअम्बिया के निदेशक कॉलमार्ड के साथ ब्रिटेन की बर्रीएस्टर हेलेना कैनेडी और पुर्तगाल की फॉरेंसिक पैथोलोजिस्ट नुनो विएरा होगी।
केस की समीक्षा कर लिए यह टीम तुर्की और सऊदी अरब की जांच की पड़ताल करेगी। खबर के मुताबिक टीम 28 जनवरी से 3 फरवरी तक तुर्की के दौरा करेंगे। यूएन की जांच टीम में शामिल हेलेना कैनेडी प्रसिद्ध वकील है और वह लॉर्ड्स हाउस के सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुएट्रेस ने बीते हफ्ते कहा था कि जमाल खशोगी की हत्या की जांच करने का अधिकार उनके पास नही है और किसी देश की तरफ से अभी कोई आधिकारिक अपील भी नही की गई है।
वैश्विक समुदाय के दबाव के बाद सऊदी अरब के शासन ने 22 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल, मानवधिकार समूह और अन्य समूह स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग कर रहा था।
अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के रिपोर्ट जारी कर बताया कि पत्रकार जमाल खशोज्जी की हत्या के पीछे सऊदी अरब के ताकतवर सलमान बिन का हाथ है। द वांशिगटन पोस्ट ने स्टोरी कर बताया कि 15 सऊदी अरब के एजेंट तुर्की स्थित सऊदी दूतावास में पत्रकार की हत्या करने के लिए आये थे। हालांकि सीआईए ने इन आरोपों को खारिज किया है।
पत्रकार जमाल खसोज्जी अपनी तुर्की की मंगेतर से शादी करने के लिए दूतावास में आये थे। सऊदी अरब के दूतावास में पत्रकार को हत्या की गई और शव लापता कर दिया गया था। रियाद ने शुरुआत में इसकी सूचना होने से इनकार कर दिया था हालांकि बाद मे प्रिंस सलमान बिन ने गुनाह को कबूल करते हुए कहा कि पूछताछ के दौरान पत्रकार को हत्या की गई थी।
सऊदी अरब के बादशाह और क्राउन प्रिंस के इस हत्या में शामिल होने के आरोपों को नकारते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि शायद विश्व उन्हें इस क़त्ल का गुनागार मानता हो, क्योंकि यह दुनिया बेहद दोषपूर्ण स्थान है। आलाचकों ने डोनाल्ड ट्रम्प के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वह मानव अधिकार को नज़रंदाज़ कर, सऊदी अरब को आर्थिक कारणों से क्लीन चिट दे रहे हैं। ताकि वह तेल बाज़ार पर अपना प्रभुत्व कायम कर सके।