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    जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना PMKSY-AIBP में हुई शामिल

    उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षणविभाग के प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) के तहत शामिल करने की मंजूरी दे दी है।

    2021-22 के बाद PMKSY के AIBP घटक के अंतर्गत अब तक छह परियोजनाओं को शामिल किया गया था। जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना AIBP के अंतर्गत शामिल होने वाली सातवीं परियोजना है।

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च, 2028 तक ₹2,584.10 करोड़ की अनुमानित लागत वाली परियोजना को पूरा करने के लिए उत्तराखंड को ₹1,557.18 करोड़ की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास एक बांध के निर्माण की जायेगी। यह बांध मौजूदा गोला बैराज को अपनी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से पानी देगा, जो 1981 में पूरा हुआ था।

    इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57,065 हेक्टेयर, जो उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई की परिकल्पना की गई है। 

    दो नई फीडर नहरों के निर्माण के अलावा, 207 किमी मौजूदा नहरों का नवीनीकरण किया जाना है और परियोजना के तहत 278 किमी पक्के फील्ड चैनल भी चालू होगा। इसके अलावा, इस परियोजना में 14 मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन के साथ-साथ हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पीने के पानी के प्रावधान की भी परिकल्पना की गई है। जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी।

    परियोजना के सिंचाई लाभों का एक बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी होगा, और दोनों राज्यों के बीच लागत और लाभ साझाकरण 2017 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के अनुसार किया जाना है। हालांकि, पीने का पानी और बिजली लाभ उपलब्ध होंगे पूरी तरह से उत्तराखंड के लिए ही परिकल्पित हैं।

    प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) वर्ष 2015-16 के दौरान शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य खेत पर पानी की पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना,खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना,स्थायी जल संरक्षण पद्धितियों को लागू करना आदि है। 

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