इंडोनेशिया अपने मुल्क की राजधानी को परिवर्तित करने पर विचार कर रहा है। जकार्ता पोस्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति जोको विडोडो की सरकार देश में अधिक समान विकास के लिए नए केंद्र को स्थापित करना चाहती है और इसके आलावा पर्यावरणीय चिंताए और अधिक भीड़भाड़ भी है।
इंडोनेशिया की नेशनल डेवलपमेंट प्लानिंग एजेंसी ने आज सुबह कैबिनेट की मीटिंग के दौरान विस्थापन की योजना के शुरुवाती अध्ययन को पेश किया था। इस दौरान आला कर्मचारियों ने किसी अन्य स्थान पर राजनीतिक हब की स्थापना के बाबत चर्चा की थी।
नेशनल डेवलपमेंट प्लानिंग एजेंसी के प्रमुख बाम्बांग ब्रॉडजोनेगोरो ने कहा कि “राष्ट्रपति ने इस बैठक में राजधानी को बाहर स्थापित करने का निर्णय लिया है।” उन्होंने तीन विकल्पों को पेश किया था। पहला, कि जकार्ता को ही राजधानी रहने दिया जाए लेकिन क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकारी जिला केन्द्रो को राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रीय स्मारकों के पास निर्मित किया जाए।
दूसरा विकल्प कि नयी राजधानी का निर्माण जकार्ता से 50 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाए। हालाँकि उन्होंने कहा कि “इन दोनों विकल्पों से जकार्ता की अधिक जनसँख्या का मामला हल नहीं हो जायेगा। जकार्ता अभी 26 करोड़ लोगो का निवास स्थान है।”
तीसरे विकल्प में जावा से बाहर राजधानी को स्थापित करने के सुझाव दिया है जो इंडोनेशिया के केंद्र में स्थित हो। उन्होंने कहा कि “हम ऐसी राजधानी चाहते हैं जो राष्ट्र की पहचान का प्रतिनिधित्व करे और केंद्र सरकार की दक्षता में सुधार करे और वह एक स्मार्ट, हरा भरा और खूबसूरत शहर हो।”
नयी राजधानी की स्थापना के स्थान की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन विडोडो सरकार वांशिगटन की तरह एक नए शहर में सरकार का केंद्र स्थापित करना चाहती है। अमेरिका ने न्यूयॉर्क की तरह जकार्ता को भी कारोबार, व्यपार और वित्तीय हब के लिए छोड़ दिया जायेगा।
जकार्ता का आधा भाग समुंद्री स्तर से नीचे हैं और वह निरंतर सिकुड़ता जा रहा है। राजधानी साल 2025 में 2008 के मुकाबले 40 से 60 सेंटीमीटर अधिक नीचे होगी। इसका मतलब यह सिकुड़न समुंद्री जल को राष्ट्रपति भवन में आने की अनुमति देगी।