Wed. Nov 6th, 2024
    छोटे कारोबारियों पर सरकार मेहरबान

    बीसीजी-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में छोटे कारोबार और कारोबारी ही देश के विकास की कुंजी साबित होंगे। ऐसे में अब बैंकों की स्थिति एसएमई (लघु और मध्यम उद्योग) सेक्टर के जरिए ही सुधरने वाली है। कॉरपोरेट कर्ज के चलते बैंक वैसे भी मुश्किल में हैं।

    बीसीजी के सौरभ त्रिपाठी का कहना है कि साल 2022 तक बड़े और मझोले कॉरपोरेट सेक्टर में बैंक कर्ज की हिस्सेदारी मात्र 39 फीसदी से घटकर 27 फीसदी ही रह जाएगी। इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि कॉरपोरेट क्षेत्र में बैंक कर्ज फंसने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए सरकार चाहती है कि बैंक छोटे उद्योगों को ज्यादा कर्ज दे।

    सरकार इस शर्त पर ही बैंकों को देगी अतिरिक्त पूंजी

    केंद्र सरकार रिकैपिटलाइजेशन के तहत बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने जा रही है। लेकिन इसके लिए बैंकों को कर्इ् सुधार करने होंगे। बैंक प्रमुखों की बैठक पीएसबी मंथन के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यह जानकारी दी।

    उन्होंने कहा कि बैंकों को सरकार से अतिरिक्त पूंजी प्राप्त करने के लिए कुछ सुधार करने होंगे। ऐसें में अब बैंक खुद तय करें कि उन्हें किस तरीके से काम करना है। पहले की तरह नहीं कि बिना किसी मेहनत के ही इन बैंकों को सरकार की ओर से अतिरिक्त पूंजी मिल जाती थी।

    अब बैंकों को यह पैसा आसानी से नहीं मिलने वाला है। बैंक बोर्ड को कंसोलिडेशन के लिए स्पष्ट और निश्चित प्लान बनाना होगा।
    राजीव कुमार ने जानकारी दी कि बैंक प्रमुखों के साथ हुई बैठक में कर्ज में फंसे बैंकों के समाधान, बैंक बोर्ड को मजबूत बनाने तथा मानव संसाधन के क्षेत्र से जुड़े सुधार पर विशेष चर्चा की गई।