चीन ने पिछले तीन सालों में करीब 13000 वेबसाइटों को बंद किया है। चीनी सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि चीन सरकार ने ये कदम साइबरस्पेस पर अपनी पकड़ बनाने के लिए किया है। चीन ने साल 2015 में शुरू हुई 13000 से अधिक वेबसाइटों को कानून तोड़ने व अन्य कारणों से बंद कर दिया है। चीनी सरकार के इस कदम को अधिकतम लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने पहले पांच साल के दौरान से ही इंटरनेट के उपयोग पर कड़े नियम लागू किए है। आलोचकों का कहना है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा बोलने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं चीनी सरकार का कहना है कि सभी देश इंटरनेट को विनियमित करते है। साथ ही इसके नियमों का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करना और अश्लील साहित्य व हिंसक सामग्री के प्रसार को रोकना है।
चीन की संसद की एक स्टेंडिंग कमेटी ने बताया है कि इसके जरिए सरकार ने ऐसी वेबसाइट, ब्लॉग और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर रोक लगाने में सफलता भी पाई है जिनमें अश्लील और हिंसक विषय सामग्री थी। चीनी सरकार ने 13000 वेबसाइटों के साथ ही करीब 10 करोड़ से अधिक सोशल मीडिया खातों को भी बंद कर दिया है।
10 करोड़ से अधिक निष्क्रिय खातों को भी किया बंद
चीनी एजेंसी ने कहा कि देश में इंटरनेट की सुरक्षा करना पार्टी की दीर्घकालिक धारणा है। देश में दीर्घकालिक शांति, स्थिरता, सामाजिक-आर्थिक विकास और लोगों के निजी हितों के लिए इंटरनेट पर आवश्यक नियम जरूरी है।
इस बारे में जब चीनी जनता के बीच सर्वे किया गया तो 90 प्रतिशत से अधिक लोगों ने चीनी सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। वहीं करीब 63.5 प्रतिशत लोगों ने माना कि हाल के वर्षों में हानिकारक ऑनलाइन सामग्री में स्पष्ट रूप से कमी आई है। सिन्हुआ ने बताया कि पिछले 5 सालों के दौरान करीब 10 करोड़ से अधिक निष्क्रिय खातों को भी बंद कर दिया गया है।
चीन ने जून में एक कठिन साइबर सुरक्षा कानून शुरू किया था। गौरतलब है कि चीन सख्त सेंसरशिप प्रणाली को अपनाता है। इंटरनेट के उपयोग पर चीन में सीमित प्रतिबंधित लागू है।