चीन की विस्तारवादी नीति के तहत आक्रामक रवैया अख्तियार करने का ताइवान देश एक उपयुक्त उदहारण है। ताइवान को चीन अपने देश में सम्मिलित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
चीन अपने पडोसी देशों को कर्ज के मकड़जाल में फंसाकर ताइवान को अलग थलग करने के लिए हर पैंतरा आजमां चुका है। लेकिन अब ताइवान ने भी चीन से लड़ने के लिए अपनी कमर कस ली है।
ताइवान चीन के अलावा अन्य शक्तिशाली देशों से मधुर सम्बन्ध कायम करने में जुट गया है। ताइवान भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर के साथ राजनयिक गतिविधियों को बढ़ा रहा है उसने कई देशों के साथ सुरक्षा समझोतों पर भी हस्ताक्षर किये हैं।
हाल ही में ताइवान ने अपने देश में विकास की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए कदम उठाये हैं।
चीन की ताइवान पर पहले से नज़र बनी हुई थी। बीजिंग ने ताइवान के निकटतम इलाकों में सैन्य गतिविधियाँ भी तेज़ कर दी है दरअसल वह किसी भी सूरत में ताइवान को हड़पने की योजना बनाये बैठा है।
ताइवान के अभी 17 देशों से राजनैयिक संबंध कायम है अलबत्ता हाल ही में पनामा और डोमनिकन गणराज्य ने ताइवान का साथ छोड़ चीन का दामन थामा है। ऐसे कई देशों का ताइवान का साथ छोड़ना ताइवान के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
कई देशो पर अपनी साख खो चुका भारत ताइवान में अपनी हाज़िरी दे रहा है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय आधिकारियों का ताइवान में आना जाना लगा हुआ है इससे पता चलता है की भारत इस विषय पर कितना गंभीर है।
वहीँ नई दिल्ली को भी उम्मीद है कि ताइवान चीनी गतिविधियों का पर्दाफाश करने में मददगार साबित होगा। ताइवान भी इसमें भरपूर सहयोग कर रहा है उसने जापानी विशेषज्ञों को सबमरीन कार्यक्रम में भाग लेने का आग्रह किया है।
अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी की नाराज़गी झेल रहे चीन के खिलाफ ताइवान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी अपनी बात रख चुका है। ताइवान ने कहा की चीन दुनिया के लोकतंत्र के लिए खतरा है अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसपर ध्यान देते हुए चीन की अनैतिक मंशा पर लगाम लगनी चाहिए।
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