चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने शुक्रवार को कहा कि “चीन शांतिपूर्ण प्रगति के मार्ग पर बरकरार रहेगा और सकारात्मक बल बना रहेगा और क्षेत्रीय व वैश्विक शान्ति में योगदान देता रहेगा।” क्षेत्रीय भूभागों पर चीन के प्रभुत्व के विस्तार से वैश्विक स्तर पर चिंता हो रखी है।
चीन अपने सिद्धांतो पर कायम
चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कहा कि “चीन पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते रिश्तों पर मेल-जोल, पारस्परिक फायदे, ईमानदारी और समावेश के सिद्धांत का ही पालन करेगा।” चीन विवादित दक्षिणी चीनी सागर के संसाधन धनी क्षेत्र को उसके देश का भाग मानता है।
दक्षिणी चीनी सागर पर अमेरिका भी नौचालन की स्वतंत्रता का हवाला देकर निरंतर गश्त करता हैं। इसके अधिकतर हिस्सों में चीन ने द्वीपों का निर्माण और उन पर सैन्यकरण किया है, ताकि इसका नियंत्रण चीन के समक्ष ही रहे। चीनी प्रधानमंत्री ने दक्षिणी एशिया के मौजूदा हालातों पर टिप्पणी नहीं की थी।
क्षेत्रीय हालातों पर चीनी बयान
बीते हफ्ते विदेश मंत्री ने दक्षिण एशिया की स्थिति पर कहा था कि “भारत और पाकिस्तान को पुलवामा आतंकी हमले के बाद आगे बढ़ना चाहिए। एक दूसरे से मुलाकात करनी चाहिए और मौजूदा संकट को एक मौके में परिवर्तित करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों में मूलभूत सुधार करने चाहिए।”
अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने चीन पर आरोप लगाया कि वह आसियान के सदस्यों की दक्षिणी चीनी सागर तक पंहुच को प्रतिबंधित कर रहा है। दक्षिणी चीनी सागर में 2.5 ट्रिलियन डॉलर के ऊर्जा संसाधन मौजूद है और चीन की वहां अवैध निर्माण गतिविधियां चल रही है।
चीन समस्त दक्षिणी चीनी सागर में अपने आधिपत्य का दावा करता है। उन्होंने कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग पर चीन के अवैध द्वीप का निर्माण सिर्फ सुरक्षा से जुड़ा मसला नहीं है। आसियान के सदस्यों को चीन 2.5 ट्रिलियन डॉलर की ऊर्जा भंडार से वंचित रखना चाहता है।”
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग नें अमेरिका के आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें निराधार बताया है। कांग नें बुधवार को बीजिंग में बताया कि चीन नें दक्षिण एशिया के देशों के साथ मिलकर दक्षिणी चीन सागर के मुद्दों को सुलझाना शुरू कर दिया है।
कांग नें अमेरिका को ‘बाहरी’ देश बताया और कहा कि प्रभावित देश इस मसले का हल निकाल लेंगे। उन्होंने कहा कि “इस इलाके के देश इस प्रकार के मसलों को सुलझाने में सक्षम हैं। बाहर के देशों को ऐसे मुद्दों से दूर रहना चाहिए जिससे क्षेत्र की संप्रभुता पर कोई असर पड़े।”