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    किम जोंग उन व व्लादिमीर पुतिन

    एक तरफ अमेरिका दुनिया के सभी देशों से उत्तर कोरिया से सभी तरह के संबंधो को खत्म करने की मांग कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ रूस ने उत्तर कोरिया के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूती देना शुरू कर दिया है। अमेरिका के दबाव में आकर चीन ने उत्तर कोरिया से दूरी बनाना शुरू कर दिया है।

    वहीं अब उत्तर कोरिया का एकमात्र व्यापारिक भागीदार रूस खुद को एक मजबूत उत्तर कोरियाई सहयोगी बनाने की स्थिति में जा रहा है। रूस ने उत्तर कोरिया को इंटरनेट कनेक्शन प्रदान किया है।

    इससे रूस, उत्तर कोरिया को अधिक विनाशकारी साइबर हमला लॉन्च करने के लिए प्रेरित कर रहा है जो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए विनाशकारी होगा।

    गौरतलब है कि चीन की यूनिकॉम कंपनी 2010 के बाद से उत्तर कोरिया को एकमात्र इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी थी। लेकिन अब रूस 27 सितंबर की बैठक के बाद उत्तर कोरिया को नए इंटरनेट कनेक्शन देने के बारे में विचार करता है। रूस ने इंटरनेट कनेक्शन के विस्तार के साथ ही दोनों देशों के बीच नौका मार्ग को फिर से खोल दिया।

    उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण और चीन के ध्रुवीकरण व्यवहार की वजह से रूस की तरफ रूख किया। उत्तर कोरिया के छठे परमाणु परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने देश पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। चीन से दूरी होने के बाद उत्तर कोरिया अब रूस के साथ संबंध मजबूत कर रहा है।

    उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण कार्यक्रम के बाद ज्यादातर देशों ने इससे दूरी बना ली जिसमें चीन भी शामिल है। लेकिन रूस ने अभी तक उत्तर कोरिया से दूरी नहीं बनाई है। चीन व उत्तर कोरिया रूस चाहता है कि उत्तर कोरिया समस्या को बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए न कि प्रतिबंधो व संबंधों को तोड़ने से।

    रूस के एजेंडा में अमेरिका और उसके सहयोगी दलों को साइबर सुरक्षा पर अधिक संसाधनों को निकालने और अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रोकने के लिए मजबूर करना शामिल है। रूस, उत्तर कोरिया में निवेश करना चाहता है। रुस अब उत्तर कोरिया के साथ अंतरराष्ट्रीय  साझेदारी को मजबूत करना चाहता है।

    अमेरिका के खिलाफ साथ है रूस-उत्तर कोरिया

    रूस और उत्तर कोरिया ने खुद को प्राकृतिक सहयोगी बनाते हुए कहा कि वे अमेरिका व उसके सहयोगी गठबंधनों के खिलाफ साथ आ रहे है। इस बात की बेहद संभावना है कि उन्होंने कुछ क्षमता में साइबर हमलों में सहयोग किया है।

    कुल मिलाकर अगर वर्तमान हालातों को देखा जाए तो रूस चुपचाप खुद को एक मजबूत उत्तरी कोरियाई साथी के रूप में स्थापित करने के लिए नींव रखता है जबकि चीन-उत्तर कोरिया के संबंध लगातार कम होते जा रहे है। यह विकास एक रूसी-उत्तरी कोरियाई रेल परियोजना की बहाली के साथ मेल खाता है।

    चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबावों में आकर उत्तर कोरिया जैसे देश का समर्थन नहीं करना चाहता है। वहीं रूस को अभी तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबावों का पता नहीं है।

    रूस और उत्तर कोरिया दोनों ने साबित कर दिया है कि वे अंतरराष्ट्रीय मामलों को बाधित करने के लिए आवश्यक किसी भी तरह का उपयोग करेंगे।