चीन की पारंपरिक मिसाइलों में आर्सेनल के साथ ही ऐसा के इलाको में अमेरिकी सैन्य ठिकानो को एशिया में तबाह करने की काबिलियत है। अमेरिका के सैन्य ठिकाने गुआम, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में है। ताकत या अन्य किसी तरीके से ताइवान को हासिल करना चीन की प्राथमिकता में शुमार है लेकी पीपल्स लिब्रेशन आर्मी इस प्रक्रिया में अमेरिकी सेना को शामिल होने नहीं देना चाहता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिडनी के अमेरिकी स्टडी सेंटर में इस माह प्रकशित रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी कि चीन द्वारा पारंपरिक आर्म्ड बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल पर निवेश पर चीन के प्रयासों का मुख्य भाग है। इसमें कहा गया है कि बीते 15 वर्षो से पीएलए का कद बढ़ा है, लांचर और मिसाइल का अपग्रेड और विस्तार किया है और अमेरिकी सरकार ने इसे विश्व में सबसे अधिक सक्रीय और विविध बैलिस्टिक मिसाइल विकास कार्यक्रम कहा गया था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, क्योंकि सहयोगियों की सुरक्षा में अमेरिकी हित उसके अपने सर्वाइवल में दूसरे स्थान पर है और इनका मूल हित बीजिंग है। पेंटागन के आंकड़ो के मुताबिक, पीएलएआरएफ मौजूदा समय में 1500 शोर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, 450 मध्यम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल और 160 इंटरमिडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। इसके साथ ही सौ लॉन्ग रेंज ग्राउंड लांच क्रूज मिसाइल भी है।
दूसरे शब्दों में कहे तो चीन की हर एक मिसाइल हर एक नागरिक और पश्चिमी पैसिफिक को डरा सकता है। अमेरिकी स्टडी सेंटर दस्तावेज में चेतावनी दी थी। लॉन्ग रेंज मिसाइल में आर्सेनल सभी अमेरिकियों, सहयोगियों और भागीदारो के लिए खतरा है।
इंडो पैसिफिक कमांड के पूर्व प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस ने बताया था कि पीएलएआरएफ के समक्ष दुनिया में सबसे बड़ी और विविध मिसिसले फाॅर्स है और इसमें 2000 से अधिक बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल भी है। चीन ने आईएनएफ में हस्ताक्षर नहीं किये हैं और बीते दो दशको से वह विश्व की सबसे बेहतरीन मिसाइल फाॅर्स को तैयार कर रहा है।