पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन किए जाने पर आंख मूंदते हुए चीन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात कही है।
साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक 13 वीं नेशनल पीपल्स कांफ्रेस के दूसरे सत्र के इतर चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने कहा कि चीन रिश्तों में सुधार को देखना चाहता है और नई दिल्ली और इस्लामाबाद को बातचीत पर वापस लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है। उम्मीद है दोनो पक्ष संकट को अवसर में परिवर्तित कर देंगे।
चीन का इरादा
पाक द्वारा आतंक को समर्थन करने के बाबत चीन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि भारत के जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले से 40 जवान शहीद हुए थे। हाल ही में चीन के उप विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद का दौरा किया था।
पाकिस्तान के प्रति वफादारी निभाते हुए चीन ने यूएन सुरक्षा परिषद् में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने पर अड़ंगा लगा दिया था। विदेश मंत्री ने यूएन में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल करने की रज़ामंदी पर कोई टिप्पणी नहीं की है। बहरहाल, फ्रांस ने भारत का खुलकर समर्थन किया है।
पाक की सराहना
चीन ने गुरूवार को कहा कि “हम देश की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर यकीन करते हैं।” चीनी उप विदेश मंत्री की पाकिस्तानी यात्रा के बाबत बताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “इस यात्रा का प्रमुख मिशन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का जायजा लेना था। चीन और पाकिस्तान सदाबहार रणनीतिक मित्र हैं। यह सराहनीय है कि पाकिस्तान ने संयम और शान्ति दिखाई और तनाव को क़म किया।”
चीनी उप विदेश मंत्री ने कहा कि “पाकिस्तान और चीन दोस्त व साझेदार हैं। उन्होंने क्षेत्रीय शान्ति और स्थिरता बरकरार रखने में पाक को चीन का देने को दोहराया।” उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के लक्ष्यों की भी जानकारी ली थी।”
मुशर्रफ का बयान
पुलवामा के भयावह हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकियों को पनाह और वित्तपोषित करना बंद करने को कहा है। पाक ने मसूद अज़हर की जमात उद दावा और फलाह ए इंसानियत पर रोक दी थी। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ ने बुधवार को दावा किया कि “जैश ए मोहम्मद एक आतंकी संगठन है। उन्होंने संकेत दिया कि उनके कार्यकाल में देश के ख़ुफ़िया विभाग ने भारत पर हमले के लिए जैश का इस्तेमाल किया था।
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पत्रकार की फेसबुक और ट्वीटर पर जारी वीडियो के मुताबिक परवेज़ मुशर्रफ ने बताया कि “दिसंबर 2003 में उन्हें दो बार उनकी हत्या करने की कोशिश की गयी थी।” मुशर्रफ के कार्यकाल में जैश के खिलाफ कार्रवाई ने करने के बाबत उन्होंने कहा कि “वो समय अलग था। साथ ही मैंने इस पर अधिक जोर नहीं दिया था।”