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    पाकिस्तान चीन सीपीईसी

    चीन-पाकिस्तान आर्थिक मार्ग (सीपीईसी) चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। पहले माना जा रहा था कि यह प्रोजेक्ट महज चीन के शिनियांग प्रांत को बलूचिस्तान के जरिये पाकिस्तान के कराची स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाला कॉरिडोर है। लेकिन सीपीईसी प्रोजेक्ट सिर्फ इतना ही नहीं है।

    सीपीईसी प्रोजेक्ट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां-

    • चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान में हजारों एकड़ जमीन पट्टे पर ली है ताकि फसलों को उगाया जा सके। साथ ही चीनी कंपनियों को इसे निर्यात करने के लिए पाकिस्तान को स्थानीय कर भी नहीं चुकाना पडेगा।
    • सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में सड़क का निर्माण करने के लिए चीनी कंपनियों को चीनी कैदियों को शामिल करने की अनुमति मिल चुकी है। खास बात यह है कि इनका भुगतान पाकिस्तान की तरफ से किया जाएगा।
    • चीनी नागरिकों को पाकिस्तान में प्रवेश करने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होगी जबकि पाकिस्तानी नागरिकों को चीन में वीजा प्राप्त करने के लिए 300 डॉलर चुकाने होंगे और लाइन में खड़ा रहना पडेगा।
    • चीन ने चीनी संस्कृति के प्रसार के लिए चीनी टेलीविजन चैनलों के अप्रतिबंधित प्रसारण के लिए इंटरनेट सुविधाओं को प्राप्त करने हेतु फाइबर ऑप्टिक केबल लगाए है।
    • पुराने हो चुके चीनी थर्मल पावर स्टेशनों को पाकिस्तान में स्थापित किया जाएगा। साथ ही इसे चीनी कोयलों की सहायता से ही चलाया जाएगा जो कि दुनिया में सबसे महंगी बिजली का उत्पादन करता है।
    • चीन के आगामी कपड़ा व्यापार हब को पाकिस्तान में कर मुक्त रखा जाएगा। साथ ही ग्वादर बंदरगाह में भी चीन के कपड़ा व्यापार हब को कोई कर नहीं चुकाना पडेगा।
    • सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत चीनी सरकार की तरफ से पाकिस्तानी नागरिकों की कड़ी निगरानी की जाएगी।
    • पाकिस्तान के अंदर चीन कराची और ग्वादर में नौसेना जहाज और पनडुब्बियों की मौजूदगी के साथ विशाल सैन्य बल को लगाएगा।
    • चीनी कंपनियों की तरफ से ज्यादातर चीनी मजदूरों को रोजगार दिया जाएगा।

    सीपीईसी प्रोजेक्ट से पाकिस्तान पर प्रभाव

    • चीनी कंपनी की वस्त्र एवं परिधान निर्यात के प्लान से पाकिस्तान जो कि अभी सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जक है, वो पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।
    • चीनी कंपनियों की ओर से पाकिस्तानी जमीनों, संसाधनों की सहायता से चीनी मजदूरों, चीनी बीज व उर्वरकों का प्रयोग करके इन फसलों को निर्यात किया जाएगा। लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को करों का कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा जिससे पाकिस्तान का चीनी कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं हो पाएगा।
    • सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान ने एक तरह से खुद को विदेशी सरकार चीन को सौंप देगा। पाकिस्तान की हर गतिविधियों पर चीन के सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी।
    • सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान को कर चुकाने वाले कारोबारियों को चीनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना होगा।
    • सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान को चीन की तरफ से सिर्फ हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र में बचाए जाने का आश्वासन मिला है।

     

    संक्षेप में कहा जाए तो चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट केवल चीन को फायदा पहुंचा रहा है। इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान को नुकसान के सिवाय कुछ भी नहीं मिलेगा। पाक को लग रहा है कि चीन का साथ देने से उस पर कोई हमला नहीं कर सकता है।

    इसलिए ही ऐसी शर्तों के साथ चीन के दबाव में आकर सीपीईसी समझौता किया। पहले तो पाकिस्तानी लोगों ने भी इस प्रोजेक्ट का विरोध नहीं किया लेकिन जैसे ही इसके शुरू होने के बाद पाकिस्तानी लोगों को नकारात्मक असर दिखाई देने लगा तो लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

    पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके के लोग इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे है। साथ ही अन्य जगहों पर भी चीन का विरोध किया जा रहा है।

    सीपीईसी प्रोजेक्ट पर पाक को चीन के अलावा भारत व अमेरिका जैसे बड़े देशों का विरोध झेलना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ेगा। चीन, पाकिस्तान के रास्ते के जरिए अपना प्रभुत्व स्थापित करने में लगा है।

     

    ऊपर दी गयी जानकारी पाकिस्तान के अखबारडॉन’ में छपी एक रिपोर्ट से ली गयी है।