Sat. May 4th, 2024
    चीन

    चीनी सरकार ने बुधवार को संकेत दिए कि वह ताइवान के पदचिन्हो पर नहीं चलेगी। मसलन हाल ही में ताइवान ने समलैंगिक विवाह के प्रस्ताव को पारित कर दिया था और इस बिल एशिया में कानूनी जामा पहनाने वाला पहला राष्ट्र ताइवान है। कार्यकर्ताओं ने इसे क्षेत्र में सामाजिक क्रांति करार दिया है।

    ताइवान का ऐतिहासिक निर्णय

    तयां की संसद में इस महीने समलैंगिक विववाह का प्रस्ताव पारित हो गया था। दशकों से इस विषय पर बहस के बाद शुक्रवार को 360 समलैंगिक जोड़े विवाह के बंधन में बंधे थे। लैंगिक समानता पर लोकतान्त्रिक धड़ो में बंटा हुआ है। ताइवान को चीन अपने देश का आंतरिक भाग मानता है।

    चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के संकेत बेहद कम है जबकि कार्यकर्ता वहां भी इसका समर्थन कर रहे हैं। ताइवान मामले के दफ्तर में चीन के नीति निर्माता ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि “उन्होंने द्वीप में समलैंगिक विवाह की खबरों पर ध्यान दिया है।”

    उन्होंने कहा कि “मुख्यभूमि में शादी की एक प्रक्रिया है जिसमे एक पुरुष और एक महिला होती है।” सांसदों ने कई मौको पर हालिया वर्षों में संसद में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन सफल नहीं हुए थे। चीन में समलैंगिक संबंधों के खिलाफ कोई कानून नहीं है और इसके बावजूद एलजीबीटी मामलो पर जागरूकता बढ़ रही है।

    हालिया महीनो में चीन में इस समुदाय पर हमले के मामलो में वृद्धि हुई है। ताइवान ने बीते माह समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी देकर इतिहास रचा है लेकिन इस मसले पर द्वीप के विचार विभाजित और रूढ़िवादी रहे हैं। शुक्रवार को करीब 300 समलैंगिक जोड़ो ने विवाह का पंजीकरण कराया था जिसमे राजधानी में ही 150 थे।

    बीते हफ्ते ताइवान में सांसदों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी वैधता प्रदान करने का हैरतअंगेज़ निर्णय लिया था जबकि रूढ़िवादी विपक्ष इसकी अवहेलना कर रहा था।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *