चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि “राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते इटली, मोनाको और फ्रांस की यात्रा करेंगे।” ग्लोबल ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम में रोम के शामिल होने की सम्भावना है। हालंकि सभी यूरोपीय देश इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते हैं।
चाइना डेली के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “शी जिनपिंग 21 मार्च से 26 मार्च तक इन देशों की यात्रा करेंगे।” हालाँकि इसके बाबत मुहैया नहीं की गयी है। इटली के अधिकारी ने बीते हफ्ते कहा था कि “रोम की बीजिंग के साथ एक ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर कर सकता हैं जिसके तहत वह चीन की एक ट्रिलियन डॉलर की परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का आधिकारिक तौर पर समर्थन करेंगे। जिसे नया रेशम मार्ग कहा गया है।”
इटली के बयान के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन ने कहा कि “यूरोपीय संघ के देशों को चीन के प्रति समन्वय रवैया अपनाना चाहिए था। यह अच्छी बात है कि चीन अन्य देशों के विकास में भागीदारी कर रहा है, लेकिन मैं पारस्परिकता और समानता की भाव पर यकीन रखता हूँ। समानता के भाव का अर्थ राष्ट्रों की सम्प्रभुता का सम्मान करना है।”
हाल ही में अमेरिकी बुद्धिजीवी सी. क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि “पाकिस्तान इस परियोजना के लिए एक बड़े कर्ज के गड्ढे में गिरता जा रहा है जो सिर्फ अमीरों के लिए ही फायदेमंद होगी। हमें अंदाज़ा भी नहीं है कि सीपीईसी की असल कीमत क्या है।”
क्रिस्टीन नें ANI को कहा कि “यह प्रोजेक्ट्स प्रतिद्वंदता के लिए नहीं स्थापित किया गया है, बल्कि चीन ने लागत तय की और पाकिस्तान ने कर्ज ले लिया है। पाकिस्तान चीन के साथ सभी बलोच नागरिकों को मारने के लिए मिला हुआ है ताकि बलोचिस्तान और उसके संसाधन का शोषण चीन के लिए आसान हो जाए।”
अन्य देशों ने चीन के शोषण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “चीन ने मलेशिया और श्रीलंका के साथ क्या किया। यह प्राइवेट खजानो से प्राइवेट जेबो तक धन पंहुचने मार्ग है। श्रीलंका के साथ क्या हुआ, दरअसल उन्हें चीनियों के हाथों अपनी क्षेत्रीय सम्प्रभुता और हबनटोटा बंदरगाह सौंपना पड़ा था।”
वन बेल्ट वन रोड योजना से जुड़ा इटली
इटली नें हाल ही में घोषणा की थी कि वह चीन की वन वेल्ट वन रोड योजना से जुड़ेगा। चीन नें इटली के इस कदम का स्वागत किया है।
चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स नें लिखा, “चीन और इटली वर्षों से एक दुसरे के आर्थिक सहयोगी हैं। 1970 से ही दोनों देशों नें आर्थिक और कूटनीतिक सम्बन्ध बना लिए थे।”
अख़बार के मुताबिक वर्तमान में इटली यूरोप में चीन का पांचवा सबसे बड़ा आर्थिक साथी है। वहीँ एशिया में चीन इटली का सबसे बड़ा आर्थिक सहयोगी है। दोनों देशों के बीच साल 2017 में 49.6 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जो कि पिछले साल से 15.1 फीसदी ज्यादा था।
चीनी मीडिया के मुताबिक शी जिनपिंग अपनी इटली के दौरे के दौरान इस योजना से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगे।
जाहिर है चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना का सबसे बड़ा भागीदार पाकिस्तान है, और दोनों देश मिलकर सीपीईसी योजना का विकास कर रहे हैं।
सीपीईसी के जरिये चीन शिनजियांग इलाके से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक एक मार्ग बना रहा है, जिससे चीन मध्य एशिया और अफ्रीका तक आसानी से पहुँच सके।