पाकिस्तान के कराची शहर में स्थित चीनी दूतावास पर तीन अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था। इस वारदात के दौरान हमलावरों को रोकने में सफल हुई कराची पुलिस में एक बहादुर महिला का नाम भी शुमार है। कराची पुलिस की बहादुर महिला अधिकारी को उसके गाँव से रिश्तेदारों ने बेदखल कर दिया था क्योंकि इस महिला ने प्राइवेट स्कूल में पढने की इच्छा जताई थी। कराची के चीनी दूतावास में इस महिला सैनिक ने अपनी बहादुरी से चीनी अधिकारियों की रक्षा की थी।
कराची में बलोच लिबरेशन आर्मी के सदस्यों के हमले के दौरान पुलिस का नेतृत्व वरिष्ठ अधिकारी सुहाई अज़ीज़ी तालपुर कर रही थी। उन्होंने सुनिश्चित किया था कि हमलावर साथ में नौ हैंड-ग्रेनेड, राइफल, मैगज़ीन और विस्फोटक की सामग्री लेकर आये हैं, उन्होंने हमलावरों को कूटनीतिज्ञ अधिकारियों तक पंहुचने से रोक दिया था।
पुलिस ने बताया कि आतंकियों के समक्ष खाद्य सामग्री और दवाइयां थी, जो इशारा करती है कि हमलावर दूतावास में ठहरने की योजना बनाकर आये थे। लेकिन जैसे ही हमलावर दूतावास के द्वार पर पंहुचे पुलिस वहां मौजूद थी। इस मुठभेड़ के दौरान दो पुलिसकर्मियों की आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
पुलिस अधिकारी सुहाई का सिंध प्रांत के टंडो मुहम्मद खान जिले के भाई खान तालपुर गाँव से ताल्लुक है, साल 2013 में सेंट्रल सुपीरियर एग्जाम को पास करने के बाद सुहाई ने पुलिस सर्विस जॉइन की थी। सुहाई ने कहा कि मेरे वालदीन ने मेरा एक प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाया, इसी कारण अधिकतर रिश्तेदार मेरे वालदीन को ताना मारने लगे थे। मज़बूर में मेरे परिवार को गाँव छोड़कर पास के शहर में शरण लेनी पड़ी थी।
सुहाई के पिताजी, एक राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक ने हमेश अपनी बेटी के लिए बड़े सपने देखे थे। अज़ीज़ तालपुर ने कहा कि मेरे रिश्तादारों ने मुझसे इसलिए नाता तोड़ दिया क्योंकि मे सुहाई को शिक्षित करना चाहता था और वे सब धार्मिक शिक्षा के पक्ष में थे। सुहाई ने कहा कि मेरे माता-पिता मुझे चार्टेड अकाउंटेड बनाना चाहते थे लेकिन उसके कोई सामाजिक मूल्य नहीं थे। इसके बाद सुहाई ने सीएसएस की परीक्षा दी और पहली कोशिश में ही उत्तीर्ण हो गयी थी।