मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने पद संभालते ही चीन के साथ किये समझौतों की समीक्षा शुरू कर दी है। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मालदीव का विदेश मंत्री इस वर्ष के अंत से पूर्व मालदीव की यात्रा पर जायेंगे। इस यात्रा के दौरान मालदीव के विदेश मंत्री चीनी कर्ज की समीक्षा करेंगे।
चीन ने अपनी विस्तारवादी रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए हिन्द महासागर के इर्द गिर्द के देशों को अंधाधुंध कर्ज दिया है। मालदीव के राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के बाद इब्राहीम सोलिह ने चीनी कर्ज की समीक्षा करने का ऐलान किया था। साथ ही अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में हुए चीनी परियोजनाओं की भी दोबारा समीक्षा की जाएगी।
मालदीव के विदेश मंत्री ने माले में स्थित चीनी दूतावास के राजदूत से बातचीत करने के बाद चीन की यात्रा का ऐलान किया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस यात्रा के दौरान मालदीव जारी चीनी परियोजना की सिलसिले में बातचीत की जाएगी और भविष्य में चीन और मालदीव के सहयोग के बाबत भी वार्ता होगी। चीनी राजदूत ने कहा कि मालदीव का केवल आधा कर्ज लगभग 1.2 बिलियन डॉलर चीन ने दिया है। उन्होंने कहा कि इस कर्ज की ब्याज दर 2 प्रतिशत है और पांच साल का ग्रेस पीरियड है। उन्होंने पर लगाए कर्ज जाल के आरोपों को खारिज किया है।
चीनी राजदूत ने कहा कि अगर हमारे मित्र देश कर्ज में डूब जायेंगे तो उससे हमें कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह गैर तार्किक कर्ज जाल में फंसाने के बाबत चीन के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इब्राहीम सोलिह की पार्टी ने कहा कि मालदीव ने चीन से 3 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है।
मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि मुक्त व्यापार समझौते की खामियों को मालदीव की संसद में सुधारना चाहिए, यह दोनों सरकारों के हितैषी समझौता है। उन्होंने कहा था कि यक़ीनन,मालदीव की सरकार सही का चुनाव करेगी। इब्राहीम सोलिह ने मालदीव पर आने वाली आर्थिक विपदा के बाबत आगाह किया था अौर भारत से मदद का आग्रह किया था।
मालदीव के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने मालदीव को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था।