पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान अपने मुल्क कोकर्ज के दलदल से निकालने के ल्लिये हर संभव जतन कर रहे हैं।हालांकि अमेरिका पाकिस्तान की राह का काँटा बनकर खड़ा हैं। अमेरिका ने एक तरफ पाकिस्तान की सभी आर्थिक सहायता रोक दी है, वहीं दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को कर्ज लेने में भी अड़ंगा डाल रहा है।
ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए हमने सारे प्रयास कर लिए हैं कि आईएमएफ के कर्ज का एक पाई भी पाकिस्तान को चीनी कर्ज चुकता करने के लिए न दिया जाए। पाकिस्तान को वित्तीय घाटे से बाहर निकलने के लिए आईएमएफ से 8 अरब डॉलर की रकम की जरुरत है। पाकिस्तान की आर्थिक तबियत बिगड़ी हुई है यदि उन्हें बैलआउट पैकेज नहीं मिला तो पाकिस्तान पर आर्थिक विपदा भी आ सकती है।
हाल ही में आईएमएफ और पाकिस्तान के मध्य कर्ज को लेकर बैठक हुई थी। अमेरिका के मुताबिक पाकिस्तान को आर्थिक संकट में पंहुचाने का जिम्मेदार चीनी कर्ज है।
अंतर्राष्ट्रीय मसलों के सचिव डेविड मलपास ने कहा कि हम यह आईएमएफ के साथ स्पष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं कि बैलआउट पैकेज का इस्तेमाल पाकिस्तान किसी चीनी कर्ज को चुकाने के लिए न करें। अमेरिकी सांसदों को भय हैं कि पाकिस्तान इस कर्ज का इस्तेमाल चीन का कर्ज चुकाने लिए न करें। उन्होंने कहा कि अमेरिका साथ ही यह सुनिश्चित कर रहा है कि पाकिस्तान अपनी कार्यक्रमों में परिवर्तन करें ताकि भविष्य में वह विफल न हो।
जुलाई में अमेरिकी रह्य सचिव माइक पोम्पेओ ने कहा था कि पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद की जरुरत चीन का कर्ज चुकाने में हैं। मलपास ने कहा कि जो पोम्पेओ ने कहा ऐसा न हो यह सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कुछ ढांचागत सुधार होना जरुरी है ताकि वह एक गरीब देश बनकर न रहे।
उन्होंने कहा कि आईएमएफ का कर्ज शोर्ट मैचुरिटी लोन है जबकि पाकिस्तान पर चीनी कर्ज लोंग मैचुरिटी लोन है, इसलिए पाकिस्तान के लिए कर्ज का भुगतान ऐसे करना संभव नहीं है।