इन दिनों आंध्र प्रदेश की सियासत गरमाई हुई हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू ने गैर भाजपा गैर कांग्रेस राजनैतिक दलों से संपर्क करने के लिए तीन समिति गठित की, जिसका लक्ष्य संसद में होने वाले अविश्वास प्रस्ताव को बहाल कराना होगा।
इसी के उपलक्ष में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्र बाबू नायडू ने तैयारी शुरू कर दी हैं। इस समिति की पहली टुकड़ी ने राज्य में तेलंगाना राज्य समिति के साथ बैठक की। बहरहाल ये बात जग ज़ाहिर हैं की टीडीपी और टीआरएस के बीच रिश्ते उतने ख़ास नहीं हैं। राजनीति में दोनों कट्टर हैं।
आंध्र प्रदेश को ख़ास राज्य का दर्जा दिलाने एवं आंध्र प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू कराने हेतु ही एन. चंद्र बाबू नायडू 18 जुलाई से होने वाले मानसून सत्र में सरकार पर दबाव बनाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पारित करेंगे। इसी के लिए उन्होंने अन्य राजनैतिक दलों से भी समर्थन मांगा हैं।
टीआरएस ने आपसी मतभेदों को दरकिनार रख टीडीपी को अपना समर्थन दिया हैं। पर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अभी भी अपना रुख साफ़ नहीं किया हैं।
टीआरएस नेताओं का कहना हैं कि आंध्र प्रदेश को लेकर हम टीडीपी का समर्थन करेंगे परन्तु अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक बार हम पार्टी के आला नेताओं से सलाह मशवरा करेंगे।
टीडीपी के कुछ नेता शिव सेना के अध्यक्ष बाल ठाकरे एवं एनसीपी नेता शरद पवार से भी मिलने गए थे। परन्तु उनकी दोनों ही से ही मुलाक़ात संभव नहीं हो पाई। ठाकरे जहाँ मुंबई में बारिश से परेशान लोगो को राहत देने में व्यस्त है वही शरद पवार मुंबई से बाहर हैं।
एन चंद्र बाबू नायडू ने लगभग सभी दलों को अपना सात पन्ने वाला खत भेजा जिसमे उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किये गए झूठे वादे एवं आंध्र प्रदेश को लेकर मदद कि मांग कि है। उन्होंने यह खत केवल गैर कांग्रेस और भाजपा दलों को ही भेजा हैं।