ग्रीस में रविवार को बलोच रिपब्लिकन पार्टी ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया था। हाल ही में बलूचिस्तान में सेना की कार्रवाई के दौरान एक बलोच ख्वातीन और बच्चे का अपहरण किया गया था। यह अभियान कथित तौर पर बलूचिस्तान के मशकाय, अवारन और नसीराबाद क्षेत्रों में सोमवार को हुआ था।
पाक सेना के खिलाफ प्रदर्शन
ग्रीस की पार्टी के अध्यक्ष असलम किय्याज़ी ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने चार बलोच खातूनों और उनके पांच बच्चो का अभियान के दौरान अपहरण किया है। प्रदर्शनकारियों द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, कुछ दिनों पूर्व पाकिस्तानी सेना ने कुछ महिलाओं और बच्चों का अवारन और मशकाय से अपहरण किया था। इनमे से कुछ को रिहा कर दिया गया था जबकि शेष उस दिन से लापता है।
राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संघठनो से बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा जारी हिंसा के खिलाफ चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि “अगर आज बलूचिस्तान की स्थिति पर चुप्पी साध ली तो पाकिस्तानी अपनी बर्बर करतूतों का समस्त विश्व में प्रसार करेगा।”
बीआरपी सेंट्रल के प्रवक्ता शेर मोहम्मद बुग्ती ने बताया कि इस प्रदर्शन में अफगान समुदाय ने भी भागीदारी की थी। इस बयान में सेना की बर्बर अत्याचारों के खिलाफ पाकिस्तानी नागरिक समाज और मानव अधिकार संघठनो की चुप्पी की भी आलोचना की गयी है।
बलूचिस्तान का संघर्ष
अंग्रेजो ने ‘डिवाइड एंड रूल’ यानी फूट डालो, राज करो। ब्रितानी हुकूमत ने भारत और इसके भागी पर इस नीति का सबसे प्रभावी तौर पर इस्तेमाल किया था। बाहरी आक्रमण से बचने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने साल 1839 में बलूचिस्तान को ढाल बनाया था। बलूचिस्तान पर कब्ज़े के बाद, आज़ादी के लिए बलूच के संघर्ष को कमजोर करने किया और इसे तीन भागो में बाँट दिया गया था। मौजूदा समय ने बलूचिस्तान ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बंटा हुआ क्षेत्र है।
धर्म के आधार पर नया राष्ट्र बने पाकिस्तान ने इस्लाम के आधार पर बलूचिस्तान को पाकिस्तान के साथ मिलने का प्रस्ताव दिया लेकिन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ़ कॉमन के बलूच प्रतिनिधियों ने इससे इंकार कर दिया। फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाकर कट्टर मुल्क पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को कमजोर करने के लिए अपनी साजिश को अंजाम दिया और 27 मार्च 1948 को बलूचिस्तान के पूर्वी भाग पर कब्ज़ा कर लिया था।