ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “गोलन हाइट्स को इजराइल के भाग के रूप में मान्यता देने के लिए तेहरान की जनता डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन का विरोध करेगी। कई अरब राष्ट्रों सहित अमेरिकी सहयोगियों ने भी अमेरिका के निर्णय की आलोचना की है।”
संयुक्त राष्ट्र में हुई निंदा
आज सीरिया के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र नें गोलन पर अमेरिका के फैसले पर बैठक बुलाई थी।
यहाँ मौजूद 14 देशों के प्रतिनिधि से अमेरिका को जमकर खिंचाई सहनी पड़ी। सभी देशों नें इस फैसले को वैश्विक नियमों का उल्लंघन माना।
जाहिर है हाल ही में सीरिया नें संयुक्त राष्ट्र से आपातकाल बैठक बुलाने को कहा था। बैठक में सभी सदस्यों नें गोलन पर सीरिया के हक को स्वीकार किया और इजराइल के कब्जे को गलत बताया।
दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधि जेरी मत्जिला नें कहा, “मध्य पूर्वी इलाके में शांति स्थापित करने में यह कदम बिलकुल भी मदद नहीं करेगा।”
सीरिया के सबसे करीबी दोस्त रूस नें सभी देशों से आग्रह किया कि वे गोलन को सीरिया का हिस्सा ही मानते रहे।
रूस के राजदूत व्लादिमीर सफ्रोंकोव नें कहा, “यदि कोई सदस्य अमेरिका के इस फैसले को मानना चाहता है तो वह इस वैश्विक बैठक से बाहर जा सकता है।”
फ्रांस नें भी इससे पहले अमेरिका को झटका देते हुए कहा था कि अंतराष्ट्रीय नियमों के साथ छेडछाड करना सफल नहीं होगा।
ईरान इस फैसले का विरोध करेगा
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक हसन रूहानी ने कहा कि “अमेरिका गोलन पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों को कुचल रहा है। ईरानी जनता को भी इसका विरोध करना चाहिए और इस इजराइल और अमरीका पर हमारी जीत होगी।”
तुर्की के तटीय शहर अंताल्या में शुक्रवार को तुर्की और रूस के विदेश मंत्रियों ने भी इस निर्णय की आलोचना की थी। रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “मुझे महसूस होता है कि यह सचेत और जानबूझकर सहनशीलता का प्रदर्शन किया गया है। इस प्रकार के सहनशीलता के प्रदर्शन, जिसमे धमकी,अल्टीमेटम और प्रतिबन्ध शामिल है, यह अमेरिका की विदेश नीति में इस्तेमाल किया जाता है।”
यह अशांति और अराजकता फ़ैलाने वाला निर्णय
तुर्की के वरिष्ठ राजनयिक मेवलुत कावुसोग्लू ने कहा कि “इस निर्णय में क्षेत्रीय शान्ति और स्थिरता मौजूद नहीं थी, इसके उलट यह क्षेत्र में अराजकता और अशांति फैलाएगा। ऐसे निर्णय को स्वीकार कर और उसे मान्यता देना हमारे समझ से परे हैं।”
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जरीफ ने कहा कि “यह फैसला अरब और मुस्लिम देशों के लिए याद दिलाने वाला है कि अमेरिका और इजराइल आपकी जमीन हथिया लेंगे।” इजराइल के निर्माण को ईरान मान्यता नहीं देता है और उसके खात्मे की संकल्प लिए आतंकी समूहों का समर्थन करता है, जिमसे गज़ा पट्टी पर हमास और लेबनान में हिज़बुल्लाह शामिल है।
इजराइल ने साल 1967 में सीरिया से गोलन क्षेत्र को छीन लिया था और साल 1981 में आधिकारिक तौर पर इस क्षेत्र मे अपना कब्ज़ा बना लिया था। अलबत्ता, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इजराइल के अवैध कब्जे को कभी स्वीकृति नहीं दी थी। यूएन के सुरक्षा परिषद् प्रस्ताव को 15 सदस्यीय संस्था ने साल 1981 में लिया था जिसके तहत गोलन पर इजराइल का प्रशासन, कानून और न्यायिक प्रक्रिया को मान्यता नहीं दी गयी थी। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित नहीं हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को गोलन को इजराइल के क्षेत्र के रूप में मान्यता दे दी थी। राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रम्प ने आधिकारिक दस्तावेजों पर दस्तखत किये थे।