Sun. Nov 17th, 2024
    गोरखपुर हादसा

    गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते 7 दिनों के दौरान हुई तकरीबन 70 बच्चों की मौत ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। इस घटना पर विपक्ष हमलावर हो गया है वहीं सरकार की सहयोगी पार्टियों ने भी प्रदेश की योगी सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया है। इस घटना को लेकर पुरे देश में रोष व्याप्त है। इसने योगी सरकार के पिछले 4 महीनों के ऐतिहासिक फैसलों भरे कार्यकाल को एक झटके में ही ‘कलंकित’ कर दिया है। केंद्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुए हादसे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित लेख में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार को भी निशाने पर लिया गया है। ‘सामना’ के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित इस लेख में घटना को ‘सामूहिक बालहत्या’ कहा गया है।

    शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में कहा है कि उत्तर प्रदेश का बाल हत्या तांडव- स्वतंत्रता दिवस का अपमान है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में 70 बच्चों की मौत को ‘सामूहिक बालहत्या’ ही कहेंगे, यह गरीबों की बदकिस्मती है। गरीबों का दुख, उनकी वेदना और उनकी ‘मन की बात ‘ को समझने के बजाए, उनकी वेदनाओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है। जो हुआ है… उसके लिए जिम्मेदार कौन है।

    गोरखपुर मेडिकल कॉलेज

     

    इस लेख में केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को भी निशाने पर लिया गया है। मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए लिखा गया है कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन को 3 साल गुजर चुके हैं। इसके बाद भी मोदी सरकार देश के सरकारी अस्पतालों में गरीब और ग्रामीण लोगों के लिए अच्छे दिन लाने में असफल साबित हुई है। लेख में आगे उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के स्पष्टीकरण का जिक्र किया गया है। सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि हर साल अगस्त महीने में बच्चों की मौते होती हैं। घटना पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने पिछले कई सालों के आंकड़ें पेश किये थे और दलील दी थी कि मरीजों को गंभीर हालत में यहाँ भर्ती कराया जाता है। ऐसे में उन्हें बचाना डॉक्टरों के लिए मुश्किल हो जाता है। सिद्धार्थनाथ सिंह को निशाने पर लेते हुए लेख में लिखा गया है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं कि अगस्त महीने में बच्चे मरते ही हैं। तो हमारा सवाल है कि अगस्त के महीने में सिर्फ गरीबों के बच्चे ही क्यों मरते हैं, क्यों अमीरों के बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता?

    अपने लेख में इस दर्दनाक हादसे को ‘सामना’ ने देश की स्वतंत्रता की असफलता करार दिया है। उसने इस गंभीर मामले पर राजनेताओं की चुप्पी और विपक्ष की राजनीति को भी आड़े हाथों लिया है। उसने लिखा है कि इस तरह की घटनाएं, गरीबों की वेदना और दुःख देश के नेताओं को झंझोड़ती नहीं है। वह ऐसे हृदयविदारक घटनाओं पर भी राजनीति करने लगते हैं। यही हमारे स्वतंत्रता की विफलता है। इस घटना पर सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा था और उसे ही इसके लिए जिम्मेदार माना था। विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा देने को भी कहा था। नोबेल पुरस्कार विजेता समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी ने इस घटना को ‘सामूहिक हत्याकाण्ड’ कहा था।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।