विषय-सूचि
गोंडवाना का इतिहास (history of Gondwana Land in Hindi)
गोंडवाना एक महाद्वीप था जिसकी मौजूदगी नियोप्रोटेरोज़ोइक पीरियड यानी 550 मिलियन साल पहले से लेकर कार्बोनफेरस पीरियड यानी 320 मिलियन साल पहले तक थी। यह विभिन्न द्वीपों के संवृद्ध होने से बना था। आने वाले सालों में कई दूसरे द्वीप गोंडवाना कि तरफ खिसकते गए, जिससे इस महाद्वीप का निर्माण पूर्ण हुआ। आज के सातों महाद्वीप उस समय गोंडवाना के भाग थे, जिस कारण इसको सुपरकॉन्टिनेन्ट भी कहा गया है।
जब गोंडवाना का उद्भव हो रहा था, उस समय बहुकोशकीय जीव धरती पर पनप रहे थे। उस समय के कुछ जीवाश्म ईंधन के आधार पर यह पता चलता है कि कीड़ों कि कुछ प्रजाति, जेलिफ़िश जैसे गोल मछलियों अदि प्राणियों का उस समय वास था।
जब यह महाद्वीप विराजमान था, उस समय का तापमान बहुत गर्म था, कई महासागर मौजूद नहीं थे, आर्कटिक एवं अटलांटिक बर्फ की सहित या चादर नहीं थी। शोधकर्ताओं के अनुसार यह वो समय था जब धरती पर डायनासोर घूमते थे और पृथ्वी घने हरे भरे जंगलों से भरी हुई थी। इस समय को जुरैसिक पीरियड भी कहा गया है।
गोंडवाना के भूभाग कैसे अलग हुए (How landmasses of Gondwana got Separated in Hindi)
आज से 300 मिलियन साल पहले गोंडवाना के भूभाग धीरे धीरे अलग होना शुरू हुए। सबसे पहले अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका टूट के अलग हुए। इन दोनों के बीच के भाग में दक्षिणी अटलांटिक महासागर निकल कर आया।
फिर गोंडवाना के पश्चिमी हिस्से में भारत और मैडगास्कर भाग अलग हो गए, फिर ऑस्ट्रेलिया और अंटार्टिका महाद्वीप साथ में टूट के अलग हो गए। आज से 50 मिलियन साल पहले भारत जब टूट के अलग हुआ तो वह यूरेशियाई भाग से जा के जुड़ गया जिस दौरान हिमालय पहाड़ों का निर्माण हुआ।
ऑस्ट्रेलिया और अंटार्टिका महाद्वीप कुछ समय तक साथ थे फिर 45 मिलियन साल पहले वे भी टूट कर अलग हो गए। फिर जैसे जैसे पृथ्वी का तापमान ठंडा हुआ, अंटार्टिका महाद्वीप जमने लगा और ऑस्ट्रेलिआ उत्तर दिशा की और खिसक गया।
गोंडवाना पर शोध (Research on Gondwana in Hindi)
गोंडवाना विषय पर उन्नीसवीं सदी के मध्य से रिसर्च चालू हुआ। ऑस्ट्रिया विज्ञानी एडवर्ड सुएस ने भारत के मध्य भाग में स्थित गोंड क्षेत्र के आधार पर इसका नाम गोंडवाना रखा।
लगभग 70-80 साल पहले तक भूगोल विज्ञानं यही सोचा करते थे कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले भूभाग हमेशा से जैसे आज हैं, वैसे ही रहे हैं यानि कि एक ही जगह पर स्थिर रहे हैं। जैसे जैसे पुराने ज़माने के अवशेषों एवं पत्थरों पर शोध चालू हुआ, इस सिद्धांत का जन्म हुआ कि पृथ्वी के भूभागों में सालों से बदलाव चालू है जो आज भी देखने को मिलता है।जैसे कि आज भी ऑस्ट्रेलियन महाद्वीप उत्तर की तरफ हर साल 3 साल की दर से खिसक रहा है।
गोंडवाना महाद्वीप कैसे अलग हुआ – इस बारे में किसी को नहीं पता। कुछ विज्ञानी ऐसा मानते हैं कि भूभाग के कुछ बिंदु जहां पृथ्वी का मैग्मा भाग सतह से बहुत नजदीक है, वह भाग लावा से सक्रिय हो गया होगा। अन्य शोधकर्ताओं का यह मानना है कि टेक्टोनिक प्लेट में हलचल के कारण यानि कि बहुत ही भारी भूकंप के कारण इस महाद्वीप के सारे भाग अलग हो गए होंगे।
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Archaeologists ko. Pata kaise chala ki itne saalo pehle aisi bhi koi Jagah existence me bhi thi
archeologist purane jamane ke jiwon ke avshesh, patharon aadi ka adhyayan kar rhe the jis se unko is jagah ka pta lga. ek hi fossils ke alg alg continent me milne pr yeh thory prove hua
archeologist purane jamane ke jiwon ke avshesh, patharon aadi ka adhyayan kar rhe the jis se unko is jagah ka pta lga. ek hi fossils ke alg alg continent me milne pr yeh thory prove hua
गोंडवाना भारत का इतिहास काफी रोचक रहा है. लोगों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी है आज अभी.
गोंडवाना भूभाग किस काल में अलग हुए थे? और इसका क्या कारण था?
Jab gondwana mahadweep hua karta that Kya us samay earth par dinosaurs bhi hua karte the?
हा सही जानकारी है , सबसे पहले गोंडवाना ,जब एशिया अलग हुआ उसके बाद कोयमारुदयूप था,बाद मे श्रृंगारद्वुप् ,इसके बाद नागदयूप ,फिर जम्मूदयूप , जम्मूदयूप,रिवा,आर्यवर्त, हिंदुस्तान ,भारत
जब हमारी पृथ्वी पर इस तरह से प्राकृतिक परिवर्तनों से, कई देश बने जीवों का विकास हुआ तो, इंसान का उदय होना समझ में आ रहा है पर, भगवान और धर्म को कैसे जन्म दिया गया है ये मैं समझ नहीं पा रहा हूं