प्रत्येक समाज ने महिलाओं और पुरुषों के लिए खूबसूरती के कुछ मापदंड निर्धारित किये हैं जैसे औरतों के लम्बे बाल और पुरुषों के छोटे बाल, औरतों के बड़े स्तन, दोनों के लिए अलग तरह के कपड़े इत्यादि।
यहां तक कि हाव-भाव के तरीकों को भी दोनों के लिए अलग रखा गया है यानी स्त्री को इस तरह से व्यवहार करना चाहिए, धीमे बोलना चाहिए, मर्दाना चाल नहीं चलनी चाहिए उसी तरह पुरुषों को ज्यादा हंसना नहीं चाहिए स्त्रियों की तरह रोना भी नहीं चाहिए आदि।
यदि कोई भी महिला या पुरुष किन्ही कारणों से इन मापदंडो पर खरा नहीं उतर पाता है तो समाज में उनका जीना काफी मुश्किल हो जाता है। साधारणतः लोग उसे पसंद नहीं करते हैं और एक मनुष्य होने के नाते जितने सम्मान का वह हक़दार है वह भी उसे हासिल नहीं होता है।
भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज की बात करें तो यहाँ औरतों के लिए परेशानियां और भी बड़ी हैं। सदियों से हमारा समाज अपनी स्त्रियों से एक खोखली सुंदरता के मापदंड पर खरा उतरने की उम्मीद लगाता चला आ रहा है और स्त्रियां उसे मानती भी आ रही हैं और ऐसे में यदि आप किसी भी मापदंड पर खरे नहीं उतर पाते तो समाज आपसे तमाम अधिकार भी छीन लेता है और आप मज़ाक बनकर रह जाते हैं।
आज जब मनुष्य जंगलों में नहीं रहता है, और विज्ञान से जुड़ चूका है, चाँद पर भी फतह कर ली है और खुद को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा बताता है। लेकिन ऐसे बुद्धिमान प्राणी द्वारा बनाए गए इस ज्ञानी समाज में भी कुछ लोगों की हालत बद से बद्तर है। लोगों में एक दूसरे के प्रति संवेदना नहीं है। रूढ़िवादिता, पितृसत्ता, सामंतवाद, जातिवाद, बॉडी शेमिंग, नस्लवाद आदि से हम आजतक बाहर नहीं निकल पाए हैं।
क्या अब वक्त नहीं आ चूका है कि कुछ भी होने से पहले हम एक मनुष्य होना स्वीकार करें? एक समाज के तौर पर अपनी बुराइयों को समझ कर उससे लड़ने का प्रयास करें? जियें और जीने दें? इसी तरह के संघर्ष की एक कहानी लेकर आ रही है श्वेता त्रिपाठी की फिल्म ‘गॉन केश‘
फिल्म में श्वेता एलोपेसिया की बिमारी से ग्रसित हैं जिसमें रोगी के बाल झड़ जाते हैं। फिल्म एनाक्षी नाम की एक लड़की की कहानी है जिसे डांस करने का बड़ा शौक है। उसकी ज़िन्दगी और सपने साधारण हैं और उसके माता-पिता भी हर आम माता-पिता की तरह ही हैं।
जब से वह स्कूल में होती है तभी से उसके खूबसूरत बाल झड़ रहे होते हैं। तमाम डॉक्टर्स को दिखाने के बाद फिर किसी बिमारी का पता नहीं चल पाता है।
लोगों को लगता है कि एनाक्षी को कैल्सियम और प्रोटीन की कमी हो गई है। बाल झड़ने की समस्या बढ़ जाने पर उसके माता-पिता को उसकी शादी की चिंता होने लगती है। सब कुछ तब बदल जाता है जब उसके सारे बाल झड़ जाते हैं।
इन परिस्थियों में एनाक्षी आगे क्या करती है यह जानने के लिए हमें फिल्म का इंतज़ार करना होगा लेकिन ट्रेलर से इतना तो तय है कि यह फिल्म मनुष्य मनुष्य को रूढ़ियाँ तोड़ कर बहादुर बनने की सलाह देती है और सही मायनों में खूबसूरती का जश्न मनाती है जो आपका आतंरिक व्यक्तित्व और मन है, शरीर के अंग नहीं।
Diagnosed with Alopecia, watch how this condition brings havoc in the life of a young girl! ⚡️
Watch the trailer of #GoneKesh on #ErosNow: https://t.co/pHssxWDYmA@battatawada | @Farjigulzar | @ShiladityaBora | @sharmamatvipin | @amindeepika | @PlatoonOneFilms | @RidhimaLulla pic.twitter.com/05XJ7WVnVC
— Eros Now (@ErosNow) March 14, 2019
क़ासिम खालो और धीरज घोष को निर्माता और निर्देशक के तौर पर सलाम करना होगा कि वह ऐसी बोल्ड फिल्म लेकर आ रहे हैं जो भारतीय समाज में घुली हुई रूढ़िवादिता को तोड़ने का प्रयत्न कर रही है और तमाम रोगों को लेकर लोगों की अज्ञानता को दूर करने की कोशिश कर रही है।
आशा करते हैं कि यह फिल्म बड़ी हिट साबित होगी।
श्वेता त्रिपाठी, जीतेन्द्र कुमार, विपिन मिश्रा, दीपिका आमीन की फिल्म ‘गॉन केश’ 29 मार्च को रिलीज़ होने वाली है। फिल्म का ट्रेलर आप एरोस नाउ की वेबसाइट पर देख सकते हैं।
ट्रेलर यहाँ देखें:
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