आकाशीय पिंडों (बॉडीज़) की हलचल में मनुष्यों को सदा ही रूचि रही है। हम हमेशा से ही इनके संबंध में और जानना चाहते हैं। आर्यभट ने, जो एक प्रसिद्ध भारतीय खगोल विज्ञानी हैं, इन आकाशीय पिंडों के बारे में गहराई से अध्ययन किया, तथा उसे अपनी किताब ‘आर्यभटीय’ में संग्रहित किआ।
विषय-सूचि
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त (Universal law of gravitation in hindi)
हमे ज्ञात है कि चाँद पृथ्वी के चारो ओर घूमता है। उसे एक चक्कर लगाने में T = 27.3 दिन लगते हैं, तथा चाँद और पृथ्वी एक दूसरे से R = 3.85 * 10^5 km दूर हैं। ¢ = 2π/T तथा a = ¢^2R ,जहाँ ‘a’ त्वरण ( असलेराशन ) है और ¢ एंगुलर वेलोसिटी, का प्रयोग कर हम चाँद की ‘a’ निकलते हैं, जो 0.0027 m/s^-2 है।
सर आइज़क न्यूटन ने इस विषय मे सोचा कि यह a, जो पृथ्वी की कर है, क्यों और कैसे है। स्वाभाविक अनुमान यह था कि पृथ्वी उसे अपनी ओर खींच रही है।
फिर उन पर एक सेब गिरने वाली कहानी भी प्रसिद्ध है। इन्हीं सब किस्सों और गहन अध्ययन के पश्चात उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की खोज की।
उन्होंने पाया कि किसी पिंड का त्वरण पृथ्वी की ओर उसकी पृथ्वी से दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है ( inversely proportional to the square of distance between them. ) यह त्वरण उस पिंड और धरती के भार के भी समानुपाती ( प्रोपोर्शनल ) है।
जिससे हमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त मिला –
F 1 गुरुत्वाकर्षण बल है, r धरती और पिंड के बीच की दूरी, m1, m2 धरती और पिंड का भार, और G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण कांस्टेंट, जिसका मूल्य 6.67*10^(-11) है।
यह मूल्य इस कानून के 71 वर्ष बाद हेनरी कैवेंडिश द्वारा ‘ कैवेंडिश प्रयोग’ में पाया गया।
इसके बाद इस कानून का सामान्यीकरण कर दिया गया और ये बताया गया कि किसी भी दो पिंडो के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल लगता है।
- G का मूल्य पूरे ब्रह्मांड में समान है। यह दूसरे आकाशीय पिंडों के लिए भी नहीं बदलता। इसी कारण इसे सार्वत्रिक कहा गया है।
- पृथ्वी के ओर लगने वाले त्वरण को ‘g’ से संबोधित करते हैं, और इसका मूल्य 9.8 m/s^2 है। यह पृथ्वी के मध्य की ओर केंद्रित है।
- g को धरती की सतह के आस-पास समान माना जाता है।
- परंतु यदि सतह से काफी ऊपर या नीचे जाएँ, तब g का मूल्य 9.8 से थोड़ा घट जाता है।
- गुरुत्वाकर्षण एक कमज़ोर बल (weak force) है। दुनिया मे चार तरह के बलों को पहचाना गया है, जिनमें गुरुत्वाकर्षण सबसे कमजोर है।
- गुरुत्वाकर्षण दीर्घ रेंज का बल है। यानी इसका असर लंबी दूरियों तक होता है।
- सारे ग्रह और उपग्रह धरती और सूर्य के चारो ओर गुरुत्वाकर्षण के कारण ही घूम पाते हैं।
गुरुत्वाकर्षण बल की नई परिभाषा (New definition of law of gravitation in hindi)
गुरुत्वाकर्षण की नई परिभाषा दी गई, जिसमे दो पिंडों के स्थान पर बिंदु द्रव्यमान ( पॉइंट मास ) शब्द का प्रयोग किया गया।
ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि हम सारी गणनाएँ धरती को उसके मध्य पे रखे पॉइंट मास की तरह मानकर ही करते हैं। और यह मान्यता बिल्कुल सही है, जब हमें एकदम सटीक उत्तरों की आवश्यकता नहीं।
इस बात को सिद्ध करने के लिए आइज़क न्यूटन को कई वर्ष मेहनत करनी पड़ी।
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