2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में गुजरात की एक सत्र अदालत ने हार्दिक पटेल और उनके दो सहयोगियों के देशद्रोह का आरोप तय कर दिया है। अब हार्दिक पर देशद्रोह केस में मुकदमा चलाने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
सत्र न्यायाधीश डीपी महिदा ने आईपीसी की धारा 124 (ए) (राजद्रोह), 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और अन्य के तहत हार्दिक पटेल, दिनेश बंबानिया और चिराग पटेल के खिलाफ आरोप तय किये हैं। ये तीनो आरोपी जमानत पर बाहर हैं। पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के 3 साल बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीनों के खिलाफ केस फ़ाइल किया।
तीनों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी से शुरू होने की संभावना है। देशद्रोह के आरोप में दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा आजीवन कारावास है।
सिटी क्राइम ब्रांच ने जनवरी 2016 में हार्दिक, दिनेश और चिराग के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और दावा किया था कि वे जानबूझकर उन गतिविधियों में शामिल हैं जो राजद्रोह और सरकार के खिलाफ युद्ध की साजिश के षड्यंत्र के तहत आते हैं।
बाद में उच्च न्यायालय ने आईपीसी धारा 121 (ए) के तहत ‘राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ से संबंधित आरोप हटा दिया था, जिसमे मृत्युदंड का प्रावधान है।
आरोपों को तैयार करने से पहले अदालत ने मंगलवार की सुनवाई से छूट के लिए हार्दिक पटेल के आवेदन को खारिज कर दिया था जिसमे उन्होंने सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मंगलवार की सुनवाई में उपस्थित रहने से छूट माँगा था।
हार्दिक की अनुपस्थिति की स्थिति में कोर्ट ने हार्दिक के वकील को उसे कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था और कहा था कि हार्दिक अदालत नहीं आये तो उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। अदालत के निर्देशों के बारे में सूचित होने के बाद हार्दिक अदालत पहुंचे, जिसके बाद आरोपों को तय करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
एक अन्य आरोपी दिनेश बंबानिया को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत किया जबकि तीसरे आरोपी चिराग पटेल कोर्ट में उपस्थित थे।