वर्तमान परिदृश्य में देश में हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के रूप शुमार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुजरात गौरव यात्रा में शामिल होने के लिए आज सुबह वलसाड पहुँचे। पिछले कुछ समय से गुजरात में लगातार भाजपा के पक्ष में माहौल बन रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का गुजरात आना सियासी लिहाज से भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा। आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आन्दोलन और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के धुआँधार प्रचार अभियानों के चलते सूबे में बैकफुट पर चल रही भाजपा को उस वक्त और झटका लगा था जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में हुई कई हजार गुना वृद्धि का खुलासा हुआ। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का गुजरात दौरा भाजपा कार्यकर्ताओं में नई जान फूँक सकता है।
योगी आदित्यनाथ को गुजरात में चुनाव प्रचार अभियान में उतारने के पीछे भाजपा के कई सियासी मायने छुपे हुए हैं। पिछले 4 विधानसभा चुनावों में यह पहला मौका है जब भाजपा गुजरात में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बिना उतरी है। पिछले चुनावों में भाजपा की जीत का एक बड़ा कारण नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता भी थी। भाजपा योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को भुनाकर भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदार और दलित वोटरों की भरपाई करने में जुटी है। कुछ प्रमुख बिंदु जो योगी आदित्यनाथ को गुजरात चुनाव प्रचार में उतारने के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, अग्रलिखित हैं।
जातीय आन्दोलन से व्याप्त असंतोष
पिछले कुछ वक्त से गुजरात भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है पाटीदार आन्दोलन। कभी भाजपा के परंपरागत वोटबैंक रहे पाटीदार समाज ने वर्ष 2015 में आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आन्दोलन शुरू किया था। आन्दोलन शुरू होने के 26 महीनों बाद भी गुजरात सरकार नाराज पाटीदारों को मनाने में विफल रही है। बीते दिनों उना में कथित गौरक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई की बात सामने आई थी। ओबीसी समुदाय पाटीदारों की आरक्षण की मांग का विरोध कर रहा है और सरकार पर ना झुकने के लिए दबाव डाल रहा है। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवानी जातिगत आन्दोलन से निकले युवा नेता हैं जो सत्ताधारी भाजपा सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार में शामिल कर भाजपा अन्य जातिगत समीकरणों को साध रही है।
हिंदुत्ववादी छवि को बढ़ावा
देशभर में योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिंदुत्ववादी नेता की है। गुजरात एक हिन्दू बाहुल्य राज्य है और राज्य की 89 फीसदी आबादी हिन्दू है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपने गुजरात दौरों पर सॉफ्ट हिंदुत्व का दांव खेल रहे हैं और कांग्रेस की हिंदुत्व विरोधी छवि बदलने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने हिंदुत्व छवि के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारकर कांग्रेस की काट खोज ली है। उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद 6 महीनों के भीतर योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर रोक, गौरक्षा कानून समेत कई ऐसे फैसले लिए हैं जिससे उनकी कट्टा हिंदुत्ववादी छवि में इजाफा हुआ है। भाजपा गुजरात में उनकी इसी छवि को भुनाना चाहती है।
भाजपा का मिशन 150+
भाजपा गुजरात विधानसभा चुनावों में 150 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में अब तक सर्वाधिक विधायकों के साथ कांग्रेस की सरकार बनी है। वर्ष 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व मेर कांग्रेस ने 149 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नजरें इस रिकॉर्ड को तोड़ने पर हैं और इसलिए योगी आदित्यनाथ को गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचारों में शामिल किया गया है। गुजरात में भाजपा की बड़ी जीत राष्ट्रीय पटल पर पार्टी की लोकप्रियता को और बल देगी।
क्षेत्रवादी राजनीति से वोटरों को साधने की कवायद
गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार अभियान में शामिल कर रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सूबे में उत्तर प्रदेश वासियों की आबादी। गुजरात के दो प्रमुख औद्योगिक नगरों अहमदाबाद और सूरत में बड़ी संख्या में मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। मजदूर वर्ग में बिहार निवासियों की भी बड़ी आबादी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल की वाराणसी सीट से सांसद हैं। वह मध्य-पूर्व उत्तर प्रदेश के साथ बिहार के सीमावर्ती जिलों में भी प्रभाव रखते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोनों राज्यों के सम्बन्ध भी सुधरे हैं। ऐसे में भाजपा क्षेत्रवाद के आधार पर वोटरों को साधने के लिए उत्तर प्रदेश के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार रही है।
योगी को राष्ट्रीय सियासी पटल पर लोकप्रिय बनाने की कोशिश
भाजपा की संगठन इकाई आरएसएस योगी आदित्यनाथ जैसे कट्टर हिंदुत्त्ववादी छवि वाले नेता को सियासी पटल पर उभारना चाहती है। योगी आदित्यनाथ के पहनावे से लेकर फैसलों तक में हिंदुत्व की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इसी वजह से योगी आदित्यनाथ के बहाने आरएसएस एक कट्टर हिंदुत्ववादी व्यक्तित्व वाले नेता को राष्ट्र के सियासी पटल पर उभार रही है। योगी आदित्यनाथ इससे पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में केरल में शुरू की गई जनसुरक्षा यात्रा में भी शामिल हुए थे। योगी आदित्यनाथ को केरल में भी भारी जनसमर्थन मिला था। भाजपा उनकी इसी लोकप्रियता का फायदा गुजरात विधानसभा चुनावों में उठाना चाहती है।