Mon. Dec 23rd, 2024
    गुजरात विधानसभा चुनाव

    गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में 10 दिन का समय रह गया है। जैसे-जैसे चुनावी तिथि नजदीक आ रही है सूबे में सियासी सरगर्मियां बढ़ती जा रही है। सत्ताधारी दल भाजपा सत्ता बचाने की जद्दोजहद कर रही है वहीं कांग्रेस गुजरात में अपना 2 दशकों का सियासी वनवास खत्म करने की कवायद में जुटी है। इस बार गुजरात का सियासी समीकरण सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ है। माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा नेता और कार्यकर्ता जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। गुजरात में सियासी माहौल भाजपा के खिलाफ करने की शुरुआत करने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी चुनावी बिगुल फूँक दिया है। पाटीदार बाहुल्य आबादी वाले सौराष्ट्र के राजकोट से हार्दिक ने सूबे की सत्ताधारी दल भाजपा के खिलाफ चुनावी लड़ाई की शुरुआत की।

    पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पाटीदार आरक्षण की मांग ना मानने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ वह चुनाव प्रचार में उतरेंगे और लोगों से भाजपा को वोट ना देने की अपील करेंगे। हार्दिक पटेल ने बीते दिनों खुले तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी। हालाँकि हार्दिक कांग्रेस में शामिल नहीं हुए थे पर गुजरात में विकल्प के तौर पर उन्होंने कांग्रेस को ही चुना था। गुजरात विधानसभा चुनाव में 9 दिसंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले हार्दिक की यह पहली रैली थी। राजकोट के नावा चौक में हुई इस रैली में तकरीबन 3,000 लोगों की भीड़ जमा हुई जिसमें युवा वर्ग की प्रमुखता थी। इस रैली को लेकर युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला। हार्दिक ने अपना पूरा भाषण गुजराती में दिया।

    पाटीदारों के गढ़ राजकोट से शुरुआत

    भाजपा के खिलाफ अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत करने के लिए हार्दिक पटेल ने पाटीदार आबादी बाहुल्य राजकोट क्षेत्र को चुना। जब हार्दिक की यह रैली हो रही थी उसी वक्त पीएम मोदी राजकोट से 40 किलोमीटर दूर मोरबी में जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। राजकोट में पाटीदारों की आबादी को देखते हुए हार्दिक की रैली काफी अहम मानी जा रही है। रैली से पूर्व हार्दिक ने मोरबी के टंकारा ब्लॉक में आरक्षण और किसानों की बदहाली के मुद्दे पर ‘चौक पर चर्चा’ की। ‘चौक पर चर्चा’ कार्यक्रम का क्रियान्वयन पीएम मोदी के प्रसिद्ध ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम की तर्ज पर किया गया। कार्यक्रम के बाद हार्दिक ने ट्वीट कर जनता का आभार जताया और कहा कि गुजरात अब बदलाव चाहता है। हार्दिक ने कहा कि वह अकेले नहीं हैं अब सब उनके साथ हैं।

    निशाने पर पीएम मोदी

    राजकोट के कार्यक्रम में अपने सम्बोधन के दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने पीएम मोदी को निशाने पर लिया। हार्दिक ने कहा कि पीएम मोदी आजकल बड़ी भावुक बातें करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि वह युवाओं की बातें करें। हार्दिक ने कहा कि पीएम मोदी को हार की भनक लग गई है और इसलिए वह जज्बाती नजर आ रहे हैं। हार्दिक ने सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम बनने के बाद आखिर मोदीजी ने किया क्या है? हार्दिक ने राज्य में किसानों की बदहाली का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह देखकर बेहद दुःख होता है कि एक लाचार किसान की बात सुनने वाला आज कोई नहीं है। हार्दिक ने कहा कि आने वाले दिनों में हम गाँव-गाँव जाएंगे और लोगों को भाजपा की सच्चाई बताएंगे। हार्दिक की पाटीदार समाज में अच्छी पकड़ है और वह युवा वर्ग के मतदाताओं को निश्चित तौर पर प्रभावित कर सकते हैं।

    पाटीदार बेल्ट सौराष्ट्र में है भाजपा की पकड़

    भाजपा पाटीदार समाज को साधने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। भाजपा इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि पाटीदार समाज गुजरात की सियासत में कितनी अहमियत रखता है। पाटीदार समाज की सर्वाधिक आबादी सौराष्ट्र क्षेत्र में निवास करती है जिस वजह से सौराष्ट्र क्षेत्र को गुजरात का पाटीदार बेल्ट भी कहा जाता है। सौराष्ट्र क्षेत्र में कुल 54 विधानसभा सीटें हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सौराष्ट्र क्षेत्र की 38 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। हालाँकि पाटीदार आन्दोलन के बाद हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को सौराष्ट्र की 11 में से 8 सीटों पर हार मिली थी। पाटीदारों में व्याप्त इस असंतोष से निपटने के लिए भाजपा अब नर्मदा के आशीर्वाद का सहारा ले रही है। सौराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों की नहरों में सरदार सरोवर बाँध से पानी छोड़ा जा रहा है और किसानों को मनाने की कोशिश की जा रही है।

    ऐन मौके पर भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का असर गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है। पाटीदार बाहुल्य सौराष्ट्र में माहौल धीरे-धीरे भाजपा के पक्ष में बनता जा रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सौराष्ट्र की 54 विधानसभा सीटों में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। उम्मीद की जा रही है कि यह आँकड़ा इस बार 40+ का होगा। परियोजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “एक समय कच्छ के लोगों को पीने का पानी मिलना भी मुश्किल हो रहा था, लेकिन अब नर्मदा परियोजना की वजह से उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा। देश के किसी भी हिस्से में अगर किसान को पानी मिल जाये तो वह बहुत कुछ करके दिखा सकता है।” क्षेत्रीय नेताओं का कहना है कि सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाकर नरेंद्र मोदी ने सौराष्ट्र क्षेत्र को पानीदार बना दिया है।

    नमो से खुश हैं पाटीदार किसान

    विपक्षी दलों द्वारा सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने के फैसले का काफी विरोध हुआ था। भाजपा ने इसे जनहितकारी बताया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इसकी वकालत की थी। बीते सितम्बर महीने में अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार सरोवर बाँध देश को समर्पित किया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि यह बाँध गुजरात की काया पलट कर रख देगा। उनकी यह बातें सच साबित होती नजर आ रही हैं। पेयजल की किल्लत झेलने वाले जामनगर, राजकोट और मोरबी के जलाशयों में नर्मदा का पानी पहुँच चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले से स्थानीय जनता बहुत प्रसन्न नजर आ रही है। चुनावों से पहले इस परियोजना को मूर्त रूप देकर पीएम मोदी ने सौराष्ट्र में कांग्रेस की दावेदारी पहले ही कमजोर कर दी है।

    सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने का जितना फायदा पेयजल की समस्या से जूझ रहे स्थानीय नागरिकों को हुआ है उससे कहीं ज्यादा सूखे की मार झेल रहे किसानों को हुआ है। इस क्षेत्र में साधनहीन छोटे किसानों की बड़ी तादात है जो फसलों की सिंचाई के लिए पूरी तरह से नहरों पर आश्रित हैं। नहरों में पानी आने से उनके चेहरे खिल उठे हैं और उनका झुकाव भाजपा की तरफ हो गया है। सौराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक राज वसावड़ा के अनुसार, “इस क्षेत्र में छोटे किसानों की संख्या अधिक है, जिसमें ज्यादातर पाटीदार हैं। आन्दोलन की शुरुआत यहाँ से हुई थी, लेकिन गांव-गांव व खेत-खेत तक पानी पहुँच जाने से किसान बहुत खुश हैं। नरेंद्र भाई मोदी में उनका भरोसा और पक्का व मजबूत हुआ है, जिसका लाभ भाजपा को चुनाव में हो सकता है। मोदी की अपील पर लोगों का मलाल खत्म हो सकता है।”

    गुजरात की सियासत में चलता है पाटीदारों का सिक्का

    पाटीदार समाज सिर्फ मतदाताओं के आधार पर गुजरात में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं यह कहना गलत होगा। गुजरात की मौजूदा भाजपा सरकार के 120 विधायकों में से 40 विधायक पाटीदार समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात सरकार के 7 मंत्री, 6 सांसद भी पाटीदार समाज से हैं। 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आन्दोलन के बाद पाटीदार समाज भाजपा से नाराज चल रहा है। भाजपा नाराज पाटीदारों को मनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है पर अब तक इसमें सफल नहीं हो पाई है। नरेंद्र मोदी के 2014 में गुजरात छोड़ने के बाद से पाटीदार समाज पर भाजपा की पकड़ ढ़ीली हो गई है। पाटीदारों की भूमिका को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि गुजरात की सियासत में पाटीदारों का सिक्का चलता है।

    दशकों से भाजपा के साथी हैं पाटीदार

    गुजरात की सत्ता तक पहुँचने की अहम सीढ़ी माना जाने वाला पाटीदार समाज 90 के दशक में भाजपा के पक्ष में आना शुरू हुआ। इससे पूर्व पाटीदार कांग्रेस के समर्थक थे। पाटीदार समाज को भाजपा की तरफ मिलाने में वरिष्ठ भाजपा नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी। 80 के दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के “गरीबी हटाओ” के नारे और गुजरात के जातिगत समीकरणों को को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने खाम गठजोड़ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया जिससे पाटीदार समाज नाराज हो गया। केशुभाई पटेल ने इन नाराज पाटीदारों को भाजपा की तरफ मिलाया। इसके बाद से पाटीदार समाज भाजपा का कोर वोटबैंक बन गया था और भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा था।

    भाजपा ने चला पाटीदार कार्ड

    गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा अपने सभी 182 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है। इस सूची में पाटीदारों को प्रमुखता से जगह देते हुए भाजपा ने 52 पाटीदार उम्मीदवारों को शामिल किया। 182 उम्मीदवारों की सूची में 52 पाटीदारों को जगह देकर भाजपा ने 13 फीसदी वोटबैंक वाले पाटीदार समाज को मजबूत सन्देश दिया है। गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ आन्दोलनरत पाटीदार समाज के नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ जा चुके हैं और कांग्रेस हार्दिक के वफादारों को चुनाव लड़ाने की सहमति दे चुकी है। हालाँकि हार्दिक इससे इंकार करते आए हैं पर पाटीदार आन्दोलन आरक्षण की मांग से कहीं दूर निकल आया है। हार्दिक पटेल भी दबे सुर में सक्रिय राजनीति में आने की अपनी महत्वकांक्षा जाहिर कर चुके हैं।

    पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल पहले कांग्रेस को परोक्ष रूप से समर्थन दे रहे थे मगर अब वह प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के साथ आ चुके हैं। हार्दिक पटेल ने बीते दिनों यह बयान दिया था कि उनका लक्ष्य पाटीदार आरक्षण नहीं वरन भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है। उनके इस बयान ने भाजपा के लिए संजीवनी का काम किया था और हार्दिक की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को उजागर कर दिया था। हालाँकि हार्दिक पटेल लगातार राजनीति से दूर रहने की बात करते हैं पर अपने बयानों से वह लगातार फँसते जा रहे हैं। ना करने के बाद कांग्रेस के साथ जाने से हार्दिक की छवि पर असर पड़ा है। ऐसे नाजुक वक्त में भाजपा ने 52 पाटीदारों को उम्मीदवार बनाकर अपना ट्रम्प कार्ड चल दिया है और मुमकिन है यह उसके लिए बाजी पलटने में सफल रहे।

    सत्ता विरोधी लहर से कैसे निपटेगी भाजपा

    पिछले 2 सालों से गुजरात में सरकार विरोधी लहर दिखाई दे रही है। समाज का हर वर्ग किसी ना किसी मुद्दे को आधार बनाकर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर चुका है। भाजपा पिछले 2 दशकों से गुजरात की सत्ता पर काबिज है। इतने लम्बे समय से सत्तासीन रहने की वजह से गुजरात के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ी है। हालाँकि भाजपा के शासनकाल में गुजरात ने बहुत तरक्की की है और वह आज देश के समृद्ध राज्यों की सूची में अग्रणी स्थान पर काबिज है। 2014 लोकसभा चुनावों के वक्त ऐसा ही कुछ हुआ था जब पूरे देश में सत्ता विरोधी लहर चल रही थी। तब भाजपा प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में आई थी। परिवर्तन समय की मांग है और शायद गुजरात की जनता अब परिवर्तन चाहती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा सत्ता विरोधी लहर से कैसे पार पाती है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।