Sat. Nov 23rd, 2024
    गुजरात विधानसभा चुनाव

    भारतीय राजनीति बहुत ही सदृढ़ राजनीति होती है और आपको बता दें यह इतनी सदृढ़ होती है कि इसमें दूर से ही धर्म और जाती के समावेश की महक आती रहती है। शायद यह कहना गलत होगा कि जाती और धर्म के आधार पर राजनीति केवल भारत में ही होती है परन्तु एक बात हम जरूर कह सकते है कि धर्म और जाती को आधार बनाकर किस प्रकार सत्ता के शिखर पर काबिज हुआ जाता है इतना वेदों का ज्ञान सिर्फ भारतीय नेताओं के पास ही है।

    जैसा कि स्पष्ट रूप से गुजरात विधानसभा चुनावों का गणित नज़र आ रहा है उससे इतना तो साफ़ हो गया है कि भाजपा को पटेल समाज का साथ मिलेगा, इसके लिए तो अब दवा नहीं सिर्फ दुआ ही की जा सकती है और शायद यह बात अब भाजपा को भी समझ आ चुकी है इसलिए वह अभी से अपने बचाव में कार्य करने लग गई है जिसका अंदाज़ा भाजपा द्वारा गुजरात की 182 विधानसभा सीटों पर ओबीसी के 61 उम्मीदवारों के उतारने से ही लगाया जा सकता है।

    दरअसल, इस बार भाजपा द्वारा 61 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जबकि 52 पाटीदार भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में उतर रहें हैं, हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार सात अधिक पाटीदारों को टिकट दिया गया है, शायद इसको चुनावी नीति के तहत अगर समझा जाए तो पटेल समुदाय को लुभाने का प्रयास हो सकता है, इन दोनों समुदायों के बाद बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं, जिनकी संख्या 28 है, क्षत्रिय समुदाय के 13, अनुसूचित जाति के 12 और ब्राह्मण समुदाय के 9 उम्मीदवारों को बीजेपी ने टिकट दिया है।

    अगर सोचा जाए तो निष्कर्ष निकलता है कि गुजरात में ओबीसी जाती के लोगों की संख्या 35% है इसके विपरीत पटेल समुदाय केवल 13% है, हां इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पटेल समाज के साथ ना होने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा परन्तु जिस तरह का माहोल गुजरात में चल रहा है उस हिसाब से अगर भविष्य को सुखद बनाना हो तो ओबीसी पर ही दावं लगाना ठीक रहेगा का भाजपा का।