देश का चुनावी परिदृश्य पिछले कुछ सालों से पूरी तरह बदल चुका है। कभी राजनीतिक कटाक्ष और एजेण्डा आधारित राजनीति के लिए जाना जाने वाला भारतीय लोकतंत्र आज जुमलेबाजी और मुहावरों के मंच के रूप में तब्दील हो चुका है। सभी सियासी दल चुनाव प्रचार में एक-दूसरे के खिलाफ सियासी जुमलेबाजी और मुहावरों का प्रयोग करने लगे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में इसकी बानगी देखने को मिली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘मौन मोहन सिंह’ और ‘मौनी बाबा’ उपनाम से पुकारा गया वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी को ‘पप्पू’ कहा गया। भारतीय राजनीति के इस नए स्वरुप को देश के युवा वर्ग ने काफी पसंद किया और सोशल मीडिया पर युवा वर्ग सियासी रूप से सक्रिय रहा। भारतीय राजनीति में व्याप्त इस प्रचलन को हटाने के लिए चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा को ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
भाजपा को भेजे गए पत्र में चुनाव आयोग ने टीवी विज्ञापन, होर्डिंग, बैनर और पोस्टर में ‘पप्पू’ नाम के इस्तेमाल पर ऐतराज जताया है। गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा की चुनाव प्रचार सामग्री की जाँच करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि भाजपा ने किसी एक खास व्यक्तित्व को इशारा बनाने के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल किया है जो अपमानजनक है। गुजरात चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधना मर्यादापूर्ण बात नहीं है। चुनाव आयोग ने भाजपा को इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों में पप्पू शब्द का इस्तेमाल ना करने की हिदायत दी है।
भाजपा ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर ऐतराज जताया है। भाजपा का कहना है कि उसने चुनाव प्रचार में पप्पू शब्द के साथ किसी व्यक्ति विशेष का उल्लेख नहीं किया है। इस लिए चुनाव आयोग का भाजपा को ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल ना करने का आदेश देना उचित नहीं है। भाजपा ने कहा है कि गुजरात चुनावों में पार्टी ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल किसी व्यक्ति विशेष पर निशाना साधने के लिए नहीं कर रही थी। गुजरात निर्वाचन आयोग के अधीन मीडिया कमेटी ने पिछले महीने भाजपा द्वारा विज्ञापनों में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर आपत्ति जताई थी। चुनाव आयोग का मानना था कि भाजपा ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का मजाक उड़ाने के लिए कर रही है।
चुनाव आयोग के इस निर्देश के बाद भाजपा गुजरात में विज्ञापनों के लिए अन्य विकल्पों को तलाश रही है।गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “चुनाव प्रचार से जुड़ी कोई भी सामग्री तैयार करने से पहले हमें मंजूरी लेने के लिए उसे गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की मीडिया कमेटी को भेजना पड़ता है। कमेटी ने विज्ञापन की स्क्रिप्ट में ‘पप्पू’ शब्द को अपमानजनक करार देते हुए आपत्ति जताई है। हमें इसे हटाने या उसकी जगह कोई दूसरा शब्द इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है। भाजपा इसका विकल्प तलाश रही है और इसे जल्द ही चुनाव आयोग की मीडिया कमेटी को भेजा जाएगा।” बता दें कि गुजरात में 9 और 13 दिसंबर को 2 चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनके नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे।