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    गुजरात विधानसभा चुनाव में गाँधीधाम पर सबकी नजर

    कच्छ की आर्थिक राजधानी तथा गुजरात के सबसे तेज विकासशील शहर गाँधीधाम में सियासी लहर उफान पर है। इस शहर का नाम महात्मा गाँधी के नाम पर रखा गया था तथा इसे 50 के दशक की शुरुआत में सिंध से आए शरणार्थियों के लिए बनाया गया था। सम्मेलनों, व्यवसाय और बैठकों के लिए लोकप्रिय शहर गाँधीधाम की आबादी 2011 के सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार 2,47,992 है।

    गाँधीधाम शहर में पुरुषों की आबादी 1,31,484 है तथा महिलाओं की आबादी 1,16,508 है। यहाँ पर औसत लिंगानुपात 886 है। इस शहर की एक और बात है कि साक्षरता के मामले में यह शहर कच्छ से काफी आगे है। गाँधीधाम की साक्षरता दर 81.8 फीसदी है जो कि कच्छ की औसत साक्षरता दर 70.06 फीसदी से कहीं ज्यादा है। गाँधीधाम में पुरुष तथा महिलाओं दोनों की साक्षरता दर बेहतर है। यहाँ पुरुष साक्षरता 76.5 फीसदी है जबकि महिला साक्षरता 64.8% है। 2012 के चुनावी आंकड़ों के अनुसार यहाँ पर 258 मतदान केंद्र है तथा यहाँ से बीजेपी के रमेश माहेश्वरी विधानसभा सदस्य है।

    गौरतलब है कि 2012 के विधानसभा में उनका मुकाबला कांग्रेस के जयश्री बेन चावड़ा के साथ हुआ था। इस मुकाबले में उन्होंने जयश्री बेन को 21,313 के मतों से हरा दिया था। रमेश माहेश्वरी को 72,988 मिले थे, जबकि कांग्रेस की जयश्री बेन को 51,675 वोट मिले थे। दोनों के हार-जीत में कुल 15.40 फ़ीसदी मतों का अंतर था।

    यहाँ पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 50,479 है तथा अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की आबादी 4,081 है। चुनावी दृष्टिकोण से इस क्षेत्र को कुल 14 भागों में बाँटा गया है। गाँधीधाम की यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह सीट 2008 में हुए नए सीमांकन के बाद अस्तित्व में आई थी। गाँधीधाम विधानसभा की यह सीट गाँधीधाम तालुका, भचाऊ तालुका, तथा अंजार तालुका का प्रतिनिधित्व करती है।

     

    धर्म

    कुल योग (%)

    हिन्दू

    91.23

    मुस्लिम

    5.48

    सिख

    0.55

    ईसाई

    1.21

    जैन

    1.26

    बौद्ध

    0.07

    अन्य

    0.02

    2011 के अनुसार गाँधीधाम की धार्मिक जनसंख्या का आंकलन

    धार्मिक दृष्टि से अगर यहाँ की जनसंख्या का आंकलन करेंगे तो पाएंगे कि यहाँ पर हिन्दुओं की आबादी सबसे ज्यादा है। 91.23 फीसदी के साथ हिन्दू यहाँ की बहुसंख्यक आबादी होने के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के लिए अहम वोटबैंक है।

    यहाँ पर मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, तथा अन्य सभी धर्मो के लोग भी रहते हैं पर आबादी के लिहाज से वह अल्पसंख्यक आबादी के अंतर्गत आते है।

    अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी यहाँ पर अपनी विजय गाथा को दोहराती है या कांग्रेस का यहाँ पुनर्जन्म होता है।