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    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी

    विधानसभा चुनाव इस समय हर किसी के लिए मान और सम्मान का विषय बनी हुई है और जब बात सूरत की हो तो कहना ही क्या। यहां पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां, 12 सीटों पर अपनी अपनी विजय का शंखनाद सुनना चाहती है। सूरत का मुकाबला इसलिए भी रोमांचक है क्यूंकि यहां पिछली बार बहुत सी सीटों पर बीजेपी ने कांग्रेस को बस उन्नीस और बीस के फर्क से हराया था।

    कहीं कहीं पर तो बीजेपी मात्र कुछ वोटों से यह चुनाव जीत गयी थी। अब ऐसे में कांग्रेस के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है। कांग्रेस यहां पर अतीत में किये हुए गलतियों से सबक लेकर आगामी विधानसभा चुनाव को जीतना चाहती है। आपको बता दे कि पिछली बार कुल 6 सीटों से कांग्रेस मात्र कुछ वोटों से ही बीजेपी से पछाड़ गयी थी।

    कौन कौन सी थी ऐसी 6 सीटें?

    ओलपाड़ा सीट:

    ओलपाड़ा की सीट पर मुकाबला बीजेपी के मुकेश पटेल और कांग्रेस के योगेश बाकरोल का है। इस क्षेत्र में पाटीदार लोग संख्या के हिसाब से बहुसंख्यक है तथा सबसे ज्यादा मतदाताओं की संख्या भी यहां पर पाटीदारों की ही है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस कुल 37 हजार वोटों से हार गयी थी इस बार कांग्रेस को पाटीदारों का अच्छा समर्थन प्राप्त है। हालातों को देखते हुए लग रहा है यहां पर कांग्रेस का पलड़ा भारी हो सकता है।

    सूरत पूर्व:

    वैसे तो इस सीट पर हमेशा से बीजेपी का दबदबा रहा है और यहां बीजेपी का मानो सिक्का चलता है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस यहां जीत के सपने संजोये बैठी है। गौरतलब है कि इस सीट से कांग्रेस पिछला चुनाव मात्र 15 हजार मतों से हार गयी थी। ऐसे में यहां से कांग्रेस को काफी उम्मीदें है। इसलिए इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने अपनी जी जान लगा दी है।

    लिंबायत:

    मराठी और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे कांग्रेस यहां से जीत के सपने देख रही है। इस सीट से पिछली बार बीजेपी की संगीता पाटिल कुल 30 हजार वोटों से जीती थी। लेकिन अगर पिछले चुनाव को गौर से देखे तो पाएंगे कि संगीता की जीत में बीजेपी का कम और कांग्रेस का हाथ ज्यादा था। कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश सोनावने को खुद कांग्रेस का ही पूर्ण समर्थन प्राप्त नहीं था। वो यहां अपने ही पार्टी की आंतरिक लड़ाई का शिकार हो गए थे।

    वराछा:

    वारछा की सीट से कांग्रेस भारी मतों से जीत की उम्मीद कर रही है क्यूंकि यहां के लोग बीजेपी से आज कल थोड़े नाराज चल रहे है। अभी कुछ माह पहले की ही बात है जब यहां के निवासियों ने बीजेपी के नेताओं को क्षेत्र में आने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। दूसरी तरफ इस क्षेत्र में भी बहुसंख्यक आबादी पाटीदारों की ही है। अब इन सभी चुनावी शगुनों के बाद कांग्रेस यहां पर जीत का स्वाद चखना चाहती है।

    सूरत उत्तर:

    मात्र 22 हज़ार मतों से पिछले विधानसभा चुनाव को जीतने वाली पार्टी बीजेपी भी इस बार कांग्रेस को मजबूत प्रतिद्वंदी मान रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस भले ही यहां से हार गयी हो लेकिन आने वाले चुनाव में अपनी जीत की संभानाओं से उत्साहित है।