Sat. Nov 23rd, 2024
    अमित शाह और स्मृति ईरानी

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी और बलवंत सिंह राजपूत ने आज गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनावों के लिए नामांकन भर दिया है। कांग्रेसी नेता बलवंत सिंह राजपूत ने कल ही विधानसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया था और कांग्रेस का दामन छोड़ा था। बलवंत सिंह राजपूत पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में कांग्रेस से अलग हुए दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं।

    कल अपने 3 विधायकों के इस्तीफे के झटके से गुजरात कांग्रेस अभी उबर भी नहीं पाई थी कि आज उसके 2 और विधायकों ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है। आज इस्तीफ़ा सौंपने वाले विधायकों में छना चौधरी और मान सिंह चौहान का नाम शामिल है जो क्रमशः वासदा और बालासिनोर सीटों से विधायक थे। उनके इस्तीफे के बाद गुजरात में कांग्रेस की स्थिति और दयनीय हो गई है। राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के पास अब कोई बड़ा चेहरा नहीं है जिसे आगे कर वो सत्ता की लड़ाई लड़ सके।

    कमजोर हुई अहमद पटेल की दावेदारी

    गौरतलब है कि गुजरात में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 8 अगस्त को वोट डाले जायेंगे। ऐसे में कांग्रेस विधायकों के लगातार बढ़ रहे इस्तीफों से अहमद पटेल की राज्यसभा दावेदारी दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है। अभी कांग्रेस के 5-8 विधायकों के इस्तीफ़ा देने की आशंका जताई जा रही है। यह इस्तीफे शंकर सिंह वाघेला के समर्थन में हो रहे हैं।

    राष्ट्रपति चुनावों में गुजरात से आयी क्रॉस वोटिंग की खबरों के बाद कांग्रेस ने शंकर सिंह वाघेला पर पार्टी के खिलाफ जाने का आरोप लगाया था। पार्टी ने वाघेला पर आरोप लगाया था कि क्रॉस वोटिंग के मुख्य सूत्रधार वही हैं। इससे नाराज होकर शंकर सिंह वाघेला ने अपने जन्मदिन समारोह में कांग्रेस छोड़ने का एलान कर दिया था और पार्टी से बगावत कर दी थी। तभी से उनके समर्थन में पार्टी के विधायकों के इस्तीफ़ा देने की घटनाएं सामने आने लगी और गुजरात कांग्रेस की फूट जमीनी हकीकत लेने लगी। फिलहाल शंकर सिंह वाघेला ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है पर उनसे किसी नई पार्टी के गठन की उम्मीद है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।