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    भाजपा की अपनी कही जाने वाली शिवसेना ने गुजरात में होने वाले आगामी चुनाव में अपने 70 से 75 उम्मीदवार उतारने का निर्णय किया है। यह बात गुरुवार को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कही। पार्टी का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दुओ के भावनाओ को समझने में आना कानि कर रही है। इसलिए पार्टी यहाँ हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। शिवसेना ने यह भी कहा कि पार्टी भाजपा या किसी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी।

    उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने 2012 में गुजरात विधानसभा का चुनाव 40 सीटों पर लड़ी थी। लेकिन उद्धव ठाकरे एक भी सीट जितने में असमर्थ रहे, गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें है। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद अनिल देसाई ने बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी ने गुजरात में चुनाव में लड़ने का फैसला किया है।

    देसाई ने कहा कि हम गुजरात चुनाव लड़ेंगे लेकिन बिना किसी पार्टी या दल के समर्थन के। उन्होंने पार्टी की ओर से हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ने की बात कही। देसाई ने हिंदुत्व के मुद्दे को पार्टी की विशेषता बताते हुए कहा कि पार्टी के जन्म से ही यह मुद्दा जुड़ा हुआ है। पार्टी ने बीजेपी का समर्थन हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर किया था लेकिन भाजपा हिंदुत्व का बेसिक मुद्दा भूल गई है। इसलिए हम अपने धर्म के संरक्षण और मजबूती के लिए चुनाव लड़ रहे है। और चुनाव में हिंदुत्व ही हमारा सबसे अहम् मुद्दा रहेगा।

    देसाई ने कहा कि हम केवल हिंदुत्व ही नहीं चाहते राज्य में शिक्षा का स्तर बहुत ही निचे गिर गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य, किसान और विकास से जुड़े मुद्दे हैं। हमारी पार्टी जातिगत मुद्दे पर चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिवसेना किसी के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। पार्टी ने अभी तक यह घोसणा नहीं की है कि किन किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि गुजरात में शिवसेना कि मौजूदगी है खास कर वहां जहा मराठी भाषा बोलने वालो कि संख्या अधिक है।

    उन्होंने कहा कि दक्षिण गुजरात के अलावा पार्टी सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में भी अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारेगी। देसाई ने पार्टी की विशेषता बताते हुए कहा कि पार्टी का एक ही नारा है केवल हिंदुत्व को मजबूत बनाना।