गुजरात विधानसभा चुनाव अब प्रत्येक राजनीतिक संगठन की साख बन चुका है, जिसे अब कोई भी खोना नहीं चाहता है। हर पार्टी अपनी मुमकिन से मुमकिन कोशिश करने में लगी है, एक दिन में राजनेताओं द्वारा अनेको रैलियां सम्बोधित करना, अलग-अलग चुनावी छेत्र का दौरा करना, विपक्षी पार्टी पर निशाना साधना, या किसी बड़े नेता को लेकर कटाक्ष करना इस चुनावी रण-छेत्र की महत्ता को दर्शाता है, लगता है मानो कुरुक्षेत्र के बजाय द्वारका में ही महाभारत आरंभ हो गयी हो।
इस बार गुजरात विधानसभा में सभी के मिज़ाज़ कुछ बदले-बदले नज़र आ रहे है, जी हाँ हम बात कर रहे है कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की। इस बार वह जिस गर्मजोशी से चुनावी युद्धछेत्र में उतरे है उससे आभास होता है कि अब कांग्रेस की दशा और दिशा दोनों बदलने वाली है। पर लगता है राहुल साहब के ये तेवर कहीं कांग्रेस को ही ना ले डूबे।
दरअसल, गुरुवार को वलसाड और वापी की रैली को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने सम्बोधित किया और सरकार को आड़े हाथो लेते हुए गुजरात में सरकार के कामकाज और उनकी नीतियों को व्यर्थ बताया। जिस प्रकार राहुल साहब ने भाषण दिया उससे तो लगता है कि वें कुछ करके ही दम लेंगे इस बार और कुछ ठीक ऐसा ही कुछ घटित हुआ। वलसाड और वापी की रैली के समाप्त होते ही कांग्रेस के 5 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया, उनका कहना है कि रैली के समय राहुल गांधी ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे।
पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं में वापी शहर की महामंत्री रश्मि शाह, खलील गोडाल, राजेश जैसवाल, जिला माइनॉरिटी कमिटी के उपप्रमुख प्रदीप शाह और वापी शहर कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रमुख पिरु मकरानी शामिल हैं, फिलहाल प्रदेश कांग्रेस ने इनका इस्तीफा मंज़ूर नहीं किया है।