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    नितिन पटेल

    हालिया संपन्न गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए भाजपा को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा था। गुजरात में अपने परंपरागत वोटबैंक पाटीदारों की नाराजगी, ओबीसी आन्दोलन और दलित आन्दोलन की वजह से जो त्रिशंकु जातीय समीकरण बने थे उससे पार पाने में भाजपा को नाकों चने चबाने पड़े। भाजपा किसी तरह सत्ता बचाने में तो सफल रही पर 22 सालों में पहली बार वह 100 से कम सीटों पर सिमट कर रह गई। अभी भाजपा इस झटके से उबरी नहीं थी कि नई गठित सरकार में मंत्रालयों के बँटवारे को लेकर मतभेद उभर आए हैं।

    गुजरात भाजपा के दूसरे बड़े चेहरे, पाटीदार नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पसंदीदा मंत्रालय ना मिलने की वजह से नाराज चल रहे हैं। पाटीदार आन्दोलन के अगुआ नेता हार्दिक पटेल ने नितिन पटेल को 10 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल होने की सलाह दी है। हार्दिक ने कहा है कि वह नितिन पटेल को कांग्रेस में मनचाहा मंत्रालय दिलाएंगे। गुजरात भाजपा का कोई भी नेता अभी इस मसले पर बोलने से बच रहा है।

    गुजरात के मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने आज इस विषय पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पहली बार अपना पक्ष रखा। नितिन पटेल ने स्पष्ट किया कि उनका मुख्यमंत्री बनने का कोई इरादा नहीं है और विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री होने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि मन्त्रिमण्डल में उनका सम्मान बना रहे। उन्होंने कहा कि इस्तीफे या बगावत की बात कोरी अफवाह है। उन्होंने 10 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल होने के कयासों को भी सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर जो भी निर्णय होगा वह पार्टी हाईकमान का होगा और मैं उसका पालन करूँगा।

    नितिन पटेल ने उन दावों को भी सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि वह राज्य का मुख्यमंत्री ना बनाए जाने से नाराज हैं। नितिन पटेल ने कहा कि उन्हें सत्ता का कोई लोभ नहीं है और यहाँ बात सिर्फ मान-सम्मान की है। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को इस बाबत सूचित कर दिया है। माना जा रहा है कि पसंदीदा मंत्रालय ना मिलने की वजह से नितिन पटेल के तेवरों में यह बदलाव देखने को मिले हैं। पाटीदार नेता लालजीभाई पटेल ने नितिन पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की है और उन्होंने इसके लिए मेहसाणा बंद का आह्वान भी किया है। नितिन पटेल ने इसे लालजीभाई पटेल की व्यक्तिगत इच्छा बताया।

    26 दिसंबर को हुए शपथ ग्रहण समारोह में नितिन पटेल को दूसरी बार गुजरात का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। मंत्रालयों का आवंटन बृहस्पतिवार रात को किया गया। शुक्रवार को ज्यादातर मंत्रियों ने अपना मंत्रालय सँभाल लिया पर नितिन पटेल ने ऐसा नहीं किया। अहम मंत्रालय ना मिलने की वजह से नितिन पटेल सरकार से नाराज हैं। पिछली सरकार में नितिन पटेल के जिम्मे वित्त, शहरी विकास, उद्योग और राजस्व मंत्रालय की जिम्मेदारी थी जबकि इस बार उन्हें सड़क एवं भवन निर्माण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, नर्मदा, कल्पसार, चिकित्सा और शिक्षा मंत्रालय का जिम्मा मिला है।

    नितिन पटेल गृह, राजस्व और शहरी विकास मंत्रालय चाहते थे पर इनमें से कोई भी उन्हें नहीं मिला है। भाजपा नितिन पटेल को मनाने की कोशिशों में जुटी हैं। इसके मद्देनजर गुजरात भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम पटेल ने नितिन पटेल से मुलाकात की। मुलाकात के बाद नरोत्तम पटेल ने कहा, “नितिन भाई पटेल गुजरात के उपमुख्यमंत्री हैं और काफी सक्षम नेता भी हैं। मैं यहाँ उनसे मिलने के लिए आया क्योंकि कुछ मंत्रालय ना मिलने की वजह से वह खुश नहीं हैं। मैं चाहता हूँ कि पार्टी इस मुद्दे पर फिर से सोचे। उन्होंने इस्तीफा देने जैसी कोई बात नहीं कही है।”

    मौजूदा गठित गुजरात सरकार में नाराजगी की यह अकेली खबर नहीं है। पूर्व मंत्री और वड़ोदरा से विधायक राजेंद्र त्रिवेदी ने वड़ोदरा से किसी भी विधायक को मन्त्रिमण्डल में जगह ना दिए जाने का विरोध किया था। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के सामने खुलकर अपनी नाराजगी जताई थी। माँग ना सुनी जाने की सूरत में उन्होंने 10 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने की भी धमकी दी है। ऐसे में अब भाजपा के सामने अन्तर्कलह और नेताओं की नाराजगी दूर कर गुजरात बचाने की चुनौती आ खड़ी है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।