थोक कीमतों में मुद्रास्फीति जुलाई में मामूली रूप से घटकर 11.2% हो गई, जो जून के 12.1% से कुछ काम हुई है। यह कमी मुख्य रूप से प्राथमिक वस्तुओं, खाद्य पदार्थ के साथ-साथ ईंधन और बिजली में मुद्रास्फीति दर की गति में कमी की वजह से हुई है। दूसरी ओर, विनिर्मित उत्पाद की कीमतों में पिछले महीने तेजी आई। हालांकि महीने-दर-महीने आधार पर थोक मूल्य सूचकांक (डब्लूपीआई) जून 2021 से जुलाई में 0.6% बढ़ा।
थोक स्तर पर ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति जुलाई में 26% थी, जो मई में 36.7% और जून में 32.8% थी। जबकि विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जून में 10.9% से बढ़कर जुलाई में 11.2% हो गई। खाद्य सूचकांक में जून में 6.66% की तुलना में 4.46% मुद्रास्फीति देखी गई।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि, “जुलाई 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से निम्न आधार प्रभाव और पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेल; मूल धातुओं जैसे निर्मित उत्पाद; खाद्य उत्पाद; कपड़ा; रसायन और रासायनिक उत्पाद; कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि के कारण है।
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने मई में 13.1% से लगातार दूसरे महीने डब्लूपीआई मुद्रास्फीति में गिरावट को अनुकूल आधार प्रभाव और खाद्य कीमतों के दबाव में नरमी को कारण बताया। उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस से संबंधित अनिश्चितता ने उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को रोक दिया था।
हालांकि अदिति नायर के अनुसार, कीमतों के मोर्चे पर आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति को थोड़ी राहत देते हुए हेडलाइन डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अक्टूबर तक दोहरे अंकों में रहने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति अब मौद्रिक नीति की 6% की सीमा से काफी नीचे है और इसके नीचे रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि, “मैं इसे चिंता लेकर चिंता नहीं कर रही क्योंकि मैं विकास पर ध्यान केंद्रित करती हूं। साथ ही हम लगातार मूल्य रुझानों की निगरानी कर रहे हैं और आपूर्ति बाधाओं को तेजी से दूर करने के प्रयासों को भी सुनिश्चित कर रहे हैं। यदि ज़रूरी हो तो आवश्यक वस्तुओं के आयात में छूट दी जा रही है ताकि अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को नुकसान न हो।”