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    आयात शुल्क में बृद्धि

    नई दिल्ली। स्थानीय स्तर पर खाद्य तेलों के दामों में हो रहे इजाफे तथा सस्ते आयात पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है। रिफाइंड पॉम आॅयल पर आयात शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है। वहीं कच्चे पॉम तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को 15 से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है।

    सरकार के इस कदम का मूल उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना तथा इंडियन रिफाइनरी यूनिट्स को राहत देना है। केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड यानि सीबीईसी ने शुक्रवार रात को कच्चे तथा रिफाइंड तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया। इनमें सरसों तेल, सूर्यमुखी तेल, सोयाबीन तेल आदि पर प्रमुख रूप से आयात शुल्क बढ़ाया गया है।

    गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद तथा अंतर मंत्रालयी समूह ने अभी हाल में ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में एक मीटिंग की थी। इस बैठक में स्थानीय बाजार कीमतों की समीक्षा की गई तथा तिलहन के साथ खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की सरकार से सिफारिश की गई थी।

    सीबीईसी ने खाद्य तेलों पर इतना बढ़ाया आयात शुल्क

    • कच्चे पाम तेल-15 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी
    • रिफाइंड पाम तेल– 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी
    • कच्चा सोयाबीन तेल– 17.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत
    • रिफाइंड सोयाबीन तेल– 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत
    • कच्चा सूर्यमुखी तेल– 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी
    • रिफाइंड सूयमुखी तेल– 20 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी
    • कच्चा सरसों तेल-12.5 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत
    • रिफाइंड सरसों तेल-20 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत

    खाद्य तेल उद्योग संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। इस संगठन ने कहा कि देश में सभी तिलहनों की कीमतें बिल्कुल निचले स्तर पर आ चुकी थीं। ऐसे में खाद्य तेलों तथा तिलहनों के आयात शुल्क पर बढ़ोतरी करके सरकार ने किसानों की बड़ी राहत दी है।