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    नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)| देश में इस साल मक्का और जौ समेत तमाम मोटे अनाज का उत्पादन घटने के कारण प्रमुख खाद्यान्न गेहूं से ऊंचे भाव पर पशुचारा में उपयोग होने वाले अनाज बिकने लगे हैं। पशुचारे की मांग जोरदार रहने के कारण मक्का और जौ की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले काफी उछाल आया है।

    बिहार के पुर्णिया जिला स्थित गुलाब बाग मंडी में बुधवार को जहां गेहूं 1,725 रुपये प्रतिक्विंटल था वहां मक्के का भाव 1,800-1,850 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा था।

    दिल्ली की लॉरेंस रोड अनाज मंडी में गेहूं जहां 1,960 रुपये प्रतिक्वंटल बिक रहा था वहां मक्के का भाव 2,250 रुपये प्रतिक्विंटल था।

    राजस्थान के कोटा में गेहूं का भाव 1,770-1,850 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा था वहीं, मक्के की आवक कम होने से भाव 2,000 रुपये से ऊंचा चल रहा है। जींस कारोबारी उत्तम कटारिया ने बताया कि पशुचारे की मांग ज्यादा होने के कारण मक्के का भाव ऊंचा चल रहा है।

    उत्तर प्रदेश के जींस कारोबारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस बार पशुचारे की कीमत खाद्यान्न से ऊंची हो गई है। यही कारण है कि पशुचारे में गेहूं की मांग बढ़ गई है और गेहूं की कीमतों में भी तेजी आई है।

    दिल्ली की लॉरेंस रोड मंडी स्थित कन्हैयाजी ट्रेडिंग कंपनी के सत्यपाल सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पशुचारे के लिए मोटे अनाज की आपूर्ति कम हो रही है, इसलिए कीमतों में तेजी है। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में पशुचारा बनाने वाली कंपनियां बाजरा, मक्का और जौ की किल्लत होने के कारण गेहूं का इस्तेमाल अब पशुचारे में करने लगे हैं।

    केंद्रीय कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से 28 फरवरी को फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देशभर में मक्के का कुल उत्पादन 278 लाख टन है, जबकि पिछले साल दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में 287 लाख टन था। हालांकि रबी सीजन में मक्के का उत्पादन इस साल 75.8 लाख टन है, जबकि पिछले साल 75 लाख टन था।

    दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, इस रबी सीजन में जौ का उत्पादन देश में 19.2 लाख टन है जबकि पिछले साल 19.9 लाख टन था।

    वहीं, खरीफ सीजन की फसल बाजरे का उत्पादन इस फसल वर्ष में दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार 37.5 लाख टन है जबकि पिछले साल 49 लाख टन था।

    कारोबारियों ने बताया कि मक्का, जौ, बाजरा व अन्य मोटे अनाज का उत्पादन कम होने के कारण पशुचारे के लिए इनकी किल्लत बनी हुई है जिसके कारण पशुचारे का भाव खाद्यान्न से महंगा हो गया है।

    नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर जौ का जून डिलीवरी वायदा अनुबंध बुधवार को 1,855 रुपये के ऊंचे स्तर से फिसल कर 1,841 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जोकि पिछले सत्र से 11 रुपये प्रतिक्विंटल कम है। इससे पहले छह मई को भाव 1,935 रुपये प्रतिक्विंटल तक चला गया था।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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