बिहार में महागठबंधन के टूटने के आसार नजर आ रहे हैं। आरजेडी के मनेर सीट से विधायक भाई वीरेंद्र ने स्पष्ट शब्दों में जेडीयू को कह दिया है कि हमारे पास 80 विधायक हैं और आरजेडी जो चाहेगी महागठबंधन में वही होगा। हमारे सारे विधायक तेजस्वी यादव के साथ खड़े हैं। आगे जो भी पार्टी का निर्णय होगा उसका सम्मान किया जायेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि महागठबंधन में होने का ये मतलब नहीं कि हम दूसरों(नीतीश ) के इशारे पर चलें। तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों का फैसला उनकी पार्टी लेगी और किसी कि धमकियों से डरकर उपमुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे।
गौरतलब हैं कि कैबिनेट कि बैठक के बाद जेडीयू ने कहा था कि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव की सफाई से संतुष्ट नहीं हैं और वह किसी भी हालत में तेजस्वी के इस्तीफे से कम पर तैयार नहीं हैं। नीतीश कुमार के 4 दिन के अल्टीमेटम पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
कुर्सी का समीकरण
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरुरत है।आरजेडी के पास 80 सीटें है और वह इस समय बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है। अगर वह महागठबंधन से अलग भी होता है तो उसे भाजपा का समर्थन मिलने नहीं वाला। अगर कांग्रेस उसका समर्थन भी करती है तो कांग्रेस की 27 सीटें मिलकर कुल आंकड़ा 107 होता है जो बहुमत से 15 कम है। अगर वह निर्दलीय विधायकों को अपनी ओर मिला भी लेती है तो वह 111 सीटों तक पहुँच पायेगी। महागठबंधन से अलग होकर सरकार बनाने की सूरत में उसे भाजपा या जेडीयू के कुछ विधायकों को अपनी ओर मिलाना होगा।
वहीँ अगर जेडीयू की बात करें तो उसके विधायकों की संख्या 71 है। महागठबंधन से अलग होने की सूरत में अगर कांग्रेस उसका समर्थन ना भी करे तो भाजपा ने उसे तेजस्वी के इस्तीफे की शर्त पर बाहर से समर्थन देने को कहा है। ऐसे में भाजपा के 53 और जेडीयू के 71 मिलकर आंकड़ा 124 पहुंच जाता है जो नीतीश कुमार और बिहार को एक स्थिर सरकार देने के लिए पर्याप्त है। जहां तक भरोसे की बात है तो भाजपा और जेडीयू पुराने साथी रहे हैं और लोकतंत्र की गरिमा लिए वे एक बार फिर साथ आ सकते हैं।