क्रेडिट सुइस संकट (Credit Suisse Crisis): स्विट्ज़रलैंड स्थित ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक और दुनिया की जानी मानी वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) के शेयर में पिछले दिनों भारी गिरावट देखने को मिला है। कंपनी के शेयर की कीमत अपने सबसे न्यूनतम मूल्य पर चला गया है।
2022 के शुरुआत से लेकर अब तक कंपनी के शेयर की कीमतों में लगभग 60% की गिरावट दर्ज की गई है। इस कारण न सिर्फ कंपनी के निवेशकों बल्कि पूरी दुनिया मे हड़कंप मच गया है कि क्या दुनिया 2008 में सब-प्राइम संकट के तरह पुनः एक आर्थिक मंदी के तरफ जा रही है?
अगर ऐसा होता है तो संभव है कि विश्व की कई अर्थव्यवस्थाओं के अस्थि-पंजर एक हो जाए। पूरी दुनिया पहले ही कोविड के बाद उत्पन्न हुए वैश्विक महंगाई से गुजर रही है और अगर यह संकट गहराया तो आर्थिक मंदी का आना तय मानिये।
अचानक क्यों चर्चा में आया क्रेडिट सुइस
असल में 30 सितंबर को क्रेडिट सुइस के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी उलरिच कोर्नेर (Ulrich Koerner) ने अपने कंपनी के अधिकारियों को एक पत्र लिखा।
No, we’re not in trouble and the 400B in liabilities is also wrong. It’s 450B.
— Ulrich Koerner (@michaeljburried) October 2, 2022
इसमें उलरिच कोर्नेर ने अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए लिखा है,
“मैं जानता हूँ मीडिया में जिस तरह की बातें क्रेडिट सुइस को लेकर चल रही हैं, खासकर वह बातें जो सही व्यक्तव्य नहीं है, उसकी वजह से काम करना आपके लिए आसान नही है। मैं भरोसा करता हूँ कि दिन-प्रतिदिन कंपनी के शेयर के कीमतों में हो रहे उठा-पटक तथा बैंक के लिक्विडिटी से जुड़े हालात को लेकर आप सब किसी दुविधा में नहीं हैं।”
उलरिच के इसी पत्र के बात क्रेडिट सुइस के हालात पर चर्चा जोर-शोर से होने लगी कि क्या इतने बड़े बैंक के डूब जाने का खतरा है? और अगर है तो क्या दुनिया फिर से उसी तरह के आर्थिक मंदी के तरफ नहीं चली जायेगी जैसा 2008 में सब-प्राइम संकट के कारण हुआ था?
खबरों की माने तो क्रेडिट सुइस की ऐसी स्थिति अचानक नहीं हुई है। भारत के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द इंडियन एक्सप्रेस में छपे रिपोर्ट के मुताबिक क्रेडिट सुइस की मार्केट वैल्यू 2008 के आर्थिक संकट के बाद से ही लगातार गिरी है।
इसकी वजह रही है कि क्रेडिट सुइस ने कई ऐसे जगह पैसे लगाए जो जुए के समान साबित हुए और कंपनी ने अपने इन्वेस्टर्स के ढेरों पैसे गंवा दिए। इस कारण कंपनी ने न सिर्फ अपने लाभांश का नुकसान किया बल्कि इस से कंपनी में निवेशकों का विश्वास भी डोल गया है। परिणामस्वरूप नए निवेशकों को आकर्षित करना मुश्किल भी हो गया।
मुश्किल में है कंपनी
एक साल पहले क्रेडिट सुइस का मार्केट कैप 22.3 बिलियन डॉलर था, लेकिन अब यह गिरकर 10.4 बिलियन डॉलर पर आ गया है। साथ ही कंपनी के शेयर में भी 56% की गिरावट दर्ज की गई है।
बैंक के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS) में भी 15% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS) एक Insurance Instrument है जो यह दर्शाता है कि आने वाले निकट भविष्य में कंपनी के डिफॉल्टर होने की संभावना कितनी है।
ऐसे में कुछ लोग इसे वर्तमान वैश्विक आर्थिक हालात के कारण किसी पहली बड़ी कंपनी के दिलवालिये के संकेत मान रहे हैं। लेकिन कई बड़े जानकर का अभी भी मानना है कि कंपनी की माली हालात जरूर खराब है लेकिन वह इस से बाहर आ जायेगी।
हालांकि एक पहलू यह भी है कि कंपनी ने अपने हालात के बारे में कुछ ज्यादा स्पष्ट नहीं किया है। आगामी 27 अक्टूबर को बैंक अपने रणनीति स्पष्ट कर सकती है जब बैंक इस वित्तीय वर्ष के तीसरे तिमाही के नतीजे स्पष्ट करेगी। कुल मिलाकर कंपनी के तरफ़ से ज्यादा स्पष्ट जानकारी जारी नहीं किये गए हैं लेकिन हालात कुछ अच्छे नहीं है, यह मार्केट-विश्लेषण से स्पष्ट है।
क्रेडिट सुइस के तरह ही Deutsche Bank को लेकर ही नकारात्मक खबरें अर्थ-जगत में हैं। इन दोनों ही बैंकों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा कारोबार है। अगर ये दोनों कंपनी किसी बड़े मुश्किल के तरफ़ बढ़ती है तो दुनिया का एक मुश्किल आर्थिक संकट में फंसना तय है।