देश के चौदहवें राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद की दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है। विपक्ष की उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार के खिलाफ दलित बनाम दलित मुकाबले में वो संभावित विजेता दिख रहे हैं। वोटों के गणित पर गौर करें तो चुनाव पूर्व ही उन्हें देश का चौदहवां राष्ट्रपति मान लिया गया है। मतों की प्रतिशतता के आधार पर वो अपने विपक्षी से तकरीबन 26 फीसदी आगे चल रहे हैं। असली आंकड़ें तो मतदान के बाद ही जाहिर होंगे पर विपक्ष के लिए इतने अंतर को पाटना नामुमकिन सा लगता है।
कोविंद को हासिल है 40 दलों का समर्थन
भाजपा उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी ने भारतीय राजनीति की दिशा को बदल कर रख दी है। श्री कोविंद पूर्व में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं और उनकी उम्मीदवारी का असर यहाँ की राजनीति पर भी पड़ा है। उनके समर्थन को लेकर सत्ताधारी महागठबंधन में दो फाड़ हो गए। जेडीयू ने श्री कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन किया और लालू यादव की आरजेडी ने कांग्रेस का दामन थामा। “बिहार की बेटी” की उम्मीदवारी भी नीतीश कुमार को डिगा ना सकी और वो अंत तक श्री कोविंद के साथ खड़े रहे। सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भी श्री कोविंद की उम्मीदवारी की तारीफ की और शिवपाल सिंह यादव ने तो खुलेआम उन्हें समर्थन देने की बात कही। वही अखिलेश यादव ने मीरा कुमार की उम्मीदवारी का समर्थन किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले कोविंद का समर्थन किया और बाद में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में चली गईं। केंद्र में सरकार के सहयोगियों के अलावा प्रमुख समर्थक दलों में विपक्ष से बीजू जनता दल, जेडीयू , तेलंगाना राष्ट्र समिति, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम का एक गुट और वाईएसआर कांग्रेस भी शामिल है। अगर वोटों के गणित की बात करें तो आंकड़ें कोविंद के पक्ष में हैं। कुल मतों की संख्या का तकरीबन 63 फीसदी हिस्सा उनके साथ है। ऐसे में उनका राष्ट्रपति बनना लगभग तय है।
विपक्ष की सर्वसम्मत उम्मीदवार है मीरा कुमार
भाजपा की तरफ से रामनाथ कोविंद की दलित उम्मीदवारी की घोषणा ने विपक्षी दलों की नींद हराम कर दी थी। भाजपा के इस कदम ने विपक्ष में फूट डाल दी और कई विपक्षी दल भाजपा के पक्ष में लामबंद हो गए। इसके खिलाफ कांग्रेस ने दलित बनाम दलित का दांव खेला। उसने दलित नेता बाबू जगजीवन राम की बेटी और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को अपना उम्मीदवार चुना। जेडीयू को अपनी तरफ मिलाने के लिए उन्होंने मीरा कुमार को “बिहार की बेटी” की संज्ञा भी दी। लेकिन नीतीश अपने पुराने रुख पर कायम रहे और बिहार के पूर्व राज्यपाल श्री कोविंद के साथ खड़े रहे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना पाला बदल लिया और कांग्रेस की तरफ आ मिली। वहीं सपा के दो फाड़ हो गए। अखिलेश यादव ने मीरा कुमार की उम्मीदवारी का समर्थन किया और मुलायम सिंह यादव ने रामनाथ कोविंद का। शिवपाल सिंह यादव ने श्री कोविंद को समर्थन देने की बात कही। श्रीमती कुमार को कुल 18 दलों का समर्थन हासिल है। कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी दलों में आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, लेफ्ट पार्टियां, बसपा और जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख हैं। इन सबको मिलकर विपक्ष के पास कुल मतों का तकरीबन 37 फीसदी मत हैं। ऐसे हालत में वो भाजपा उम्मीदवार को कितनी टक्कर दे पाएगी, इससे सभी अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं।