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    continental drift theory in hindi

    विषय-सूचि

    कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट क्या है? (what is continental drift in hindi?)

    कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट एक प्रकार की व्याख्या है, जिसके आधार पर यह पता चलता है कि कैसे सातों महाद्वीप पृथ्वी के सतह पर अपनी जगह बदलते रहते हैं। अल्फ्रेड वेगेनर नामक geophysicist एवं मेट्रोलॉजिस्ट ने यह सिद्धांत 1912 में पहली बार दिया था।

    आगे चलकर जब टेक्टोनिक प्लेट (जिससे पृथ्वी के सतह पर किसी भी प्रकार का हलचल होता है या भूकंप आता है) का सिद्धांत आया तो फिर कई वैज्ञानिकों ने इस शोध पर कार्य किया। इस सिद्धांत के आधार पर विभिन्न महाद्वीपों में पाए गए पुराने जीवों के अवशेष (fossils) की भी व्याख्या हुई।

    कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट की व्याख्या (Explanation of Continental Drift in Hindi)

    वेगनर ने पहले यह तथ्य दिया कि सभी महाद्वीप पहले एक एक भूभाग के रूप में साथ थे, किन्तु शुरुआत में अन्य वैज्ञानिकों ने इस व्याख्या को मानने से इंकार कर दिया क्योंकि वेगनर के पास इसको सिद्ध करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं थे। वेगनर ने यह तथ्य पुराने अवशेष एवं पत्थरों के आधार पर निकाला था।

    हालाँकि वेगेनर के तथ्यों को कुछ वैज्ञानिकों ने नकार दिया था, लेकिन कुछ वैज्ञानिक इसपर काम करने में लगे रहे क्योंकि इससे उन्हें महाद्वीपों के एक जगह से दूसरे जगह खिसकने का विचार मिला। कुछ सालों बाद भूवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध करके दिखाया कि सभी महाद्वीप पहले एक साथ ही थे।

    वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट किया कि 300 मिलियन साल पहले गोंडवाना नामक एक सुपरकॉन्टिनेन्ट विराजमान था, फिर टेकटोनिक प्लेटों के हलचल के कारण कुछ भूभाग अलग हो गए जिन्हे हम विभिन्न महाद्वीपों के रूप में जानते हैं।

    कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट सिद्धांत के सबूत (Evidence of Continental Drift Theory in Hindi)

    अपने शोध के आधार पर वेगनर ने यह देखा कि अफ्रीका एवं दक्षिणी अमेरिका के समुद्री तटों पर इस प्रकार के निशान का भूभागों का कटाव था जिससे यह लगता था कि वे पहले किसी अन्य भूभाग से जुड़े हुए हो। उसने फिर कई ऐसे सबूत जमा किये जिसका शोध करके आगे के वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत कि पुष्टि की।

    वेगनर ने आगे अपने शोध में यह पाया कि कुछ पौधे एवं जानवर mesosaur नामक जीव जो Permenian युग में सिर्फ दक्षिणी अमेरिका एवं अफ्रीका में पाए जाते थे, अब दूसरे महाद्वीपों में भी मौजूद थे। फिर उसने अटलांटिक महासागर के दो भाग के पत्थरों को लेकर शोध किया।

    उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के Applachian पहाड़ एवं स्कॉटलैंड के Calodoniyan पहाड़ के पत्थरों की विशेषताएं एक सामान पायी गयीं। फिर साउथ अफ्रीका में पाए जाने वाले कारू स्ट्रेटा पत्थर और ब्राजील में पाए जाने वाले Santa Catarina पत्थर कई रूप में एक सामान हैं।

    इस सिद्धांत को सत्य साबित करने के लिए अन्य सबूत जो मिले हैं, वे इस प्रकार हैं:

    • अफ्रीका, भारत एवं अंटार्कटिका के पत्थरों में मिले Lystorausorus नामक जीव के अवशेष जो उस ज़माने के थे।
    • इस सिद्धांत के कुछ जिन्दा सबूत भी है। जैसे कि विभिन्न प्रकार के केंचुओं का अलग अलग महाद्वीपों में पाया जाना।
    • ऐसे ग्लेशियर सेडीमेंट जो विभिन्न महाद्वीपों में देखे जाते हैं।

    बाद में नेशनल जियोग्राफिक चैनल के द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि प्लेटों के इस हलचल के कारण कई बड़े पहाड़ों जैसे कि हिमालय एवं यूरोप के आल्प्स पहाड़ों का निर्माण हुआ। कुछ पहाड़ आज भी प्लेटों के इस हलचल के कारण बढ़ रहे हैं।

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