दिल्ली सरकार जहां एक तरफ प्रदूषण के मुद्दे से परेशान है तो वही एलजी ने भी केजरीवाल के नाक में दम कर रखा हैं। जी हां, एलजी तथा दिल्ली सरकार के बीच युद्ध थमता नहीं दिख रहा है।
दोनों ही पक्ष अपनी अपनी बात पर अडिग है। केजरीवाल की सरकार ने संविधान पीठ के समक्ष दलील दी है कि एलजी के पास कोई अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं सरकार ने कहा है कि एलजी लोकतंत्र का मजाक बना रही है। सरकार ने संविधान पीठ के समक्ष एलजी पर मनमर्जी का आरोप लगाते हुए कहा है कि, एलजी बिना किसी अधिकार के चुनी हुई सरकार के फैसले न सिर्फ ले रही है बल्कि बदल भी रही है।
सरकार ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी है कि किसी मसले पर सरकार और एलजी के बीच मतभेद होने की स्थिति में राष्ट्रपति या दिल्ली सरकार या मंत्रिपरिषद के पास निर्णय का अधिकार है। ऐसे में एलजी किस अधिकार के तहत फैसले ले रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने अरविन्द केजरीवाल के तरफ से क्षेत्र सरकार अधिनियम तहत अन्य विधानों का हवाला एलजी को दिया है।
उन्होंने सुझाव दिया है कि एलजी को सहयोग और सुझाव से मिलकर काम करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार के मतभेद के समय राष्ट्रपति को निर्णय लेना चाहिए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को यह कहे जाने के बाद कि संवैधानिक व्यवस्था प्रथम दृष्टया में उप राज्यपाल के पक्ष में झुकी हुई दिखती है।
केजरीवाल ने उम्मीद जताई थी कि उनकी सरकार और केंद्र के बीच चल रही मनमुटाव के कुछ सकरात्मक बाते निकल कर आ सकती है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 14 नवंबर को होनी है