आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। अंदुरुनी कलह से जूझ रही पार्टी बिखरती हुई नजर आ रही है। सबसे ज्यादा खींचतान है अरविन्द और कुमार विश्वास के बिच। कुमार के तेवर पिछले कुछ समय से पार्टी के खिलाफ बागवती नजर आ रहे है।
वक्त वक्त पर कुमार ऐसा कुछ कह जाते है जिससे लगने लग जाता है जल्दी ही वो आम आदमी पार्टी को टाटा कह सकते है। अब तजा मामले में कुमार ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि अरविन्द के विचारो से असहमत होने का उनका अधिकार है।
केजरीवाल द्वारा दूसरी पार्टी को वोट देने के बयान पर कुमार और केजरीवाल आमने सामने हो गए है। कुमार ने केजरीवाल के रामलीला मैदान में दिए भाषण को उनका निजी विचार बताते हुए कहा कि वो उनके विचारो से सहमत नहीं है।
गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुजरात की जनता से हर हाल में बीजेपी को हराने का अनुरोध किया था। अपने बयान में अरविन्द ने कहा था कि “चुनाव में जनता अगर विकास देखना चाहती है तो बीजेपी को हराने के लिए वोट करे फिर चाहे वह आम आदमी पार्टी को वोट करे या फिर किसी अन्य राजनीतिक दल को”
अरविन्द के इस बयान के बाद पार्टी में माहौल गर्म है। उनके इस बयान पर ‘आप’ प्रवक्ताओं की मुश्किलें बढ़ गयी है। अरविन्द की दूसरी पार्टी को वोट देने के निवेदन का आशय कांग्रेस पार्टी को मत देना समझा जा रहा है। इस बयान पर कुमार का बयान अरविन्द के लिए निराशाजनक है।
कुमार ने कहा कि “गुजरात में आम आदमी के उन्ही उम्मीदवारों को अपना मत दे जो बिना किसी की मदद लिए इस चुनाव को लड़ रहे है”, किसी और पार्टी को मत ना देने का निवेदन करते हुए कुमार ने कहा कि जहां ‘आप’ पार्टी नहीं है वहां जनता नोटा का इस्तेमाल करे।
राजनीति में आने का लक्ष्य सत्ता की चाह को ना बताते हुए उन्होने मीडिया को बताया कि “मेरा लक्ष्य समाज का विकास था। मैं कभी बीजेपी या कांग्रेस को जीताने के लिए राजनीति में नहीं उतरा था”, कुमार ने मीडिया को समझाया कि “अरविन्द ने जो बयान दिया था वो उनका निजी विचार था तथा उनके निजी विचारों को हमेशा पार्टी का विचार नहीं समझा जाना चाहिए” कुमार ने यह माना कि अरविन्द के बयान से कार्यकर्ताओं में असमंजस है।
लालू के साथ गठबंधन नहीं होगा
कुमार ने बताया कि लालू के साथ आम आदमी पार्टी की गठबंधन की जो खबरे आ रही है वो अफवाह है। हम उनसे कोई गठबंधन नहीं करने जा रहे है।
लालू पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कुमार ने बताया कि लालू जी की लड़ाई 1977 में वंशवाद के खिलाफ थी। लेकिन आज तो वो खुद बेटे-बेटी को बचाने के लिए राजनीति कर रहे है, ये सोचना भी सम्भव नहीं है कि हम उनके साथ लड़ेंगे।
कुमार ने पार्टी का संस्थापक सदस्य होने के नाते यह ऐलान किया कि “जब तक मैं हूं, हम लालू जी के साथ कोई एलायन्स नही करेंगे”, इस बात का जिक्र उन्होने अपने एक ट्वीट में भी किया।
We can't and we won't even think of political alliance with Lalu Prasad Yadav ever, this I assure you as a founder member of the party and as a foot-soldier of the anti-corruption movement. Rebutting this news with full responsibility. pic.twitter.com/yTT2tjQdFD
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 30, 2017
कुमार ने बताया कि लालू-नीतीश शपथग्रहण समारोह में अरविन्द इसलिए गए थे क्यूंकि सीएम होने के नाते यह उनका एक प्रोटोकॉल था।कुमार ने मीडिया से आग्रह किया कि नितीश-लालू शपथ ग्रहण समरोह में अरविन्द के होने का कृपया अन्य मतलब ना निकाले। कुमार ने कहा कि हमने पिछले कुछ सालों में बहुत से साथियों को खो दिया है, जो हमारे लिए अच्छी बात नहीं है।